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21.8.12

दिल से । (गीत)




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दिल  से । (गीत)





दिवार  से   मेरा   नाम  मिटा  तो  दोगे  पर,  दिल  से   कैसे..!


याद  आऊँगा  फिनिक्स  बन  कर, आये  वो जल  कर  जैसे ।


(phoenix=फिनिक्स= एक पक्षी, जो सुर्य को पाने की चाह में, बार-बार जल कर फिर से ज़िंदा हो जाता है ।) 
(जल के =  सुलग कर)


अंतरा-१.


तहज़ीब का तकाज़ा यही था, कुछ  तुम कहो,  कुछ  हम   कहें ।

तंग  तशनगी, बन गई  बंद  अलार, दरमियाँ  खुल  कर  कैसे..!

दिवार  से   मेरा   नाम   मिटा   तो  दोगे  पर,  दिल  से   कैसे..!


(तहज़ीब= शालीनता; तकाज़ा= स्मरण कराने की क्रिया ; तशनगी= प्यास; अलार= दरवाज़ा)


अंतरा = २. 


बेसब्री  ने    ठाना   था,  मिलने  का   कोई   बहाना  तो   मिले..!

आरज़ूओं  का  गला  घोंट  गई  वस्ल, गले   मिल  कर   जैसे ।

दिवार  से   मेरा   नाम   मिटा  तो  दोगे  पर,  दिल  से   कैसे..!


(बेसब्री=अधीरता; आरज़ू=इच्छा; वस्ल=मिलन)


अंतरा-३.


चश्मदीद  गवाह   माँग   रहा   है, ज़ालिम  ज़माना   लेकिन..!

क़ातिल  निगाहों ने  किया  है  छल, सँभल-सँभल कर  कैसे..!

दिवार  से  मेरा  नाम  मिटा  तो   दोगे   पर,  दिल  से   कैसे..!


(चश्मदीद= प्रत्यक्षदर्शी ) 


अंतरा-४.


उम्रभर    ढूंढा,   हुश्नो - इश्क    के   सरमाएदार ,  अब    तो..!

उम्र  सारी   घुल  गई, वक़्त  के  अंधेरों   में,  गल  कर  जैसे ।

दिवार  से   मेरा  नाम  मिटा  तो  दोगे  पर,  दिल  से   कैसे..!


(सरमाएदार= पूँजीपति; गलना=पिघलना)


मार्कण्ड दवे । दिनांकः- २१-०८-२०१२. 

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