कर्त्तव्य ,अकर्त्तव्य ,व्यापार और राजनीति
साहब ,आजादनगर झोपड़ पट्टी के पास बलात्कार की घटना घटी है।
साहब- पकड़ के धांसू दफा लगा कर अन्दर कर दूँगा साले को ,भविष्य में किसी की हिम्मत ही
नहीं पड़ेगी किसी लड़की को छेड़ने की .
साहब उसके कपडे और रहन-सहन से ठीक घर का नजर आता है.
साहब- बढ़िया !उसने ऐश की,मजे लूटे ,अब देखना भारी दफा को हल्की करवाने के भरपूर
नोट मिलेंगे .वैसे भी ऐसे मामले में ज्यातर दोनों पक्ष दोषी होते हैं .अपनी तो ऐश हो
जायेगी .
साहब वह लड़की अपने बाप की जगह आपका नाम दे रही है!!!
साहब- छोड़ना मत उस कमीने को .आज उसकी मौत ने दावत दे दी है .पूरी रात मार मार कर
हुलिया बदल दूँगा और ऐसा फिट करूंगा की सालो बाहर नहीं आ पायेगा
.
साहब ,वह बहुत बड़े नेता का बेटा है !!
साहब- क्या बात करते हो ?अब उस नेता ने मेरी लड़की के साथ अपने लड़के की शादी नहीं
की तो उसका तो पूरा दाँव ही फेल हो जाएगा .उस लड़के को मारना मत ,पहले बात
करके देख लेता हूँ ,बात बन गयी तो बल्ले-बल्ले .बड़े घर का जमाई बैठे -बैठे मिल सकता
है.वैसे ही बेटी तो पराया धन होती है ,हाथ तो पीले करने ही थे .भूल सुधार भी हो जायेगी
और बेटी भी ऊँचे घर में राज करेगी .
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