डॉ राकेश पाठक
देखा आपने... यूपी के देवरिया में राहुल गांधी की खाट सभा के बाद किस तरह खटिया लूट मची। नहीं देखा तो देखिये..और सोचिये यही हैं हम..लुटेरे कहीं के.. राहुल गांधी की सभा में आये लोग जिस बेशर्मी से खाट लूट रहे थे उसे देख कर हैरानी नहीं हुयी। हमने कभी कोई मौक़ा नहीं छोड़ा है लूटने का... अभी हरियाणा में जाट आंदोलन में चाय की गुमटी से लेकर बड़े बड़े शॉपिंग मॉल तक हमने निर्लज्ज़ता से लूटे थे। पूरे ठाठ से,न शरम न लिहाज़।
थोड़ा और पीछे चलते हैं। सन् 84 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के दंगों में हमने अपने अपने घर भर लिए थे।सिखों के घरों, दुकानों से हर छोटा बड़ा माल असबाब कंधे पर धर कर अपने आँगन में पटक लिया था। किसी हाइवे पर हादसे का शिकार हुए सेव,संतरे,प्याज़,टमाटर के ट्रक को लूटने में हमने हमेशा जान लड़ा दी है चाहे घायल ड्राइवर बिलखता रहे। पलटे पड़े टेंकर में से तेल निकाल ले जाने को दौड़ कर कट्टी लाते ही रहे हैं हम।
रुकिए...इसमें कांग्रेस, बीजेपी मत ढूँढिये वर्ना सबके शरीके ज़ुर्म होने के सबूत भी हैं। सन् 84 में वे भी बढ़ चढ़ कर शामिल थे जो सबसे ज्यादा संस्कृति की बात करते हैं और हाँ गांव,शहर का फर्क भी मत कीजिये। अभी हरियाणा में शहर भी उसी तरह लुटे जैसे गाँव। हां नईं तौ। तो ये हैं हम ...विश्व गुरु,नैतिकता के झंडाबरदार,सभ्यता संस्कृति के पहरुए...धर्म ध्वजी.. माया मोह से दूर रहने की माला जपने वाले...धुत्त.. फिर काहे महमूद ग़ज़नवी को सदियों बाद तक कोसते फिरते हैं...हैं...जब मौका आता है तब पडोसी को भी लूटने से नहीं छोड़ते... पाखंडी कहीं के...!!!
Dr. Rakesh Pathak
rakeshpathak0077@gmail.com
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