मजीठिया वेज बोर्ड मामले में सुप्रीमकोर्ट के विद्द्वान् न्यायाधीश रंजन गोगोई सर और पंत सर द्वारा जिस तरह उत्तराखंड के लेबर कमिश्नर के खिलाफ वारंट निकाल दिया गया और उत्तर प्रदेश के लेबर कमिश्नर को जेल भेजने की चेतावनी देते हुए 6 सप्ताह में इस वेज बोर्ड को लागू कराकर इसकी रिपोर्ट देने के लिए कहा गया उससे देश भर के लेबर कमिश्नरों,लेबर अधिकारियों के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही हैं।जो अधिकारी समाचार पत्र कर्मचारियों से ठीक से बात तक नहीं करते थे और हर पल की डायरेक्ट रिपोर्टिंग अखबार मालिकों को करते थे अब समाचार पत्र कर्मचारियों को देखते ही हल्कि सी स्माइल देते हुए बैठा रहे हैं।
दूसरे राज्यो में भले ऐसा ना हो लेकिन महाराष्ट्र में तो ऐसा ही हो रहा है।यहाँ लेबर विभाग में सुप्रीमकोट के नए आदेश से हड़कंप का माहौल है।आज जो सहायक कामगार आयुक्त ठीक से बात तक नहीं करती थी स्माइल के साथ सिर्फ पत्रकारों की बातें ही सुन रही थीं ।और मैनेजमेंट के वकीलो को हड़काया जा रहा है।शुक्रवार को डी बी कोर्प के प्रिंसपल करस्पांडेंट धर्मेन्द्र प्रताप सिंह के मजीठिया मामले की सुनवाई थी ।मेरे और मेरे साथियों के मामले की भी इसी विभाग में सुनवाई थी। जिस अधिकारी के पास मैं गया सबने मुझसे यही कहा कि उस दिन सुप्रीमकोर्ट ने क्या बोला।वे उत्तराखंड के मामले पर भी पूछ रहे थे।
एक असिस्टेंट लेबर कमिश्नर ने तो निराश होकर कहा पैसा लेना किसको है देना किसको है और फंस हम रहे हैं जिसे मैंने जमकर सुनाया और कहा आपके यहाँ भी फाल्ट है।अपने बॉस को बोलियेगा तैयार रहें।जिसके बाद उनके चेहरे पर हवाइया उड़ने लगी।धर्मेन्द्र जी का जिस महिला अधिकारी के पास केस था वो आये दिन रोती थी कि कभी पेट पिराने (दुखने )का बहाना तो कभी मीटिंग का ।लेकिन कल उसका भी पेट नहीं पिराया और ना ही कोई मीटिंग थी।बल्कि उसने धर्मेन्द्र जी को बुलाया और उनकी बात मजबूती से सुनी।उसके बाद डी बी कोर्प के वकील को 20 जे के मुद्दे पर वाट्सअप पर सन्देश दिखाया और कहा हमें सुप्रीमकोर्ट की बात माननी है।आप इस मामले में सुझाव न दें। इसी तरह एक क्लर्क ने भी बाहर निकलते समय बताया 2 सितम्बर की मजीठिया मामले की साहब ने एक मीटिंग बुलाई है।मंत्रालय में भी इस मामले की कल मीटिंग थी।आप बताइये क्या हमारे साहब को भी सुप्रीमकोर्ट से फटकार लगेगी।मैंने कह दिया वो तो सुप्रीमकोर्ट ही बता पायेगा।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आर टी आई एक्टिविस्ट
9322411335
8.9.16
सुप्रीमकोर्ट के नए आदेश के बाद कामगार अधिकारियों के चेहरे पर उड़ रही हैं हवाइयां
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