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5.9.16

झोलाछाप डॉक्टरों का गोरखधंधा अधिकारियों के संरक्षण में फलता फूलता नजर आ रहा है

छतरपुर। नगर ही नहीं बल्कि आसपास बसी कॉलोनियों और ग्रामीण क्षेत्रो में बगैर डिग्री के झोलाछाप डॉक्टरों का गौरखधंधा अनबरत रूप से जारी है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का संरक्षण इन्हे प्राप्त है। जिसके कारण ये अधिकारी इन झोला छाप डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करते। मजबूरी बस लोग इनसे इलाज करवा रहे है। जिसके बदले में खुलेआम ये डॉक्टर मौत भी परोस रहे है। प्रशासनिक अधिकारी कुम्भकरणीय नींद में सो रहे है।


नगर के देरी रोड, सटई रोड ही नही बल्कि ग्राम पंचायत गंज, ग्राम गढ़ा, ग्राम झमटुली, सलैया, बमीठा, चंद्रनगर, राजनगर, ग्राम पंचायत खरका, ढि़लापुर, लुगासी, महेबा, नौगांव, गर्रोली, टटम, निवारी, मनकारी, सरबई, हरपालपुर बड़ागाव सहित सम्पूर्ण जिले में डॉक्टरो को धंधा खूब फ ल फू ल रहा है। यह डॉ. जो इस तरह का क्लीनिक संचालन कर रहे है। वह जनता से प्रति हजारो रूपये बसूलते है वही उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते है वही कमीशन खोरी के धंधे में फ ार्मा कम्पीनियों को लाभ पहुचा रहे है। वही एक ओर शासन को चूना लगाया जा रहा है। आयकर विभाग को लाखो रूपये का चूना इस धंधे से लगाया जा रहा है जिले के मुख्यचिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को जब इस संबंध में लिखित तौर अवगत कराया तब कार्यवाही का हवाला देते हुये चेतावनी नोटिश जारी किये किन्तु इससे अधिक कोई कार्यवाही नही की गई। जब इसके संबंध में उनसे जाना गया कि कार्यवाही क्या कि गई तब प्रशानिक कार्यो का हवाला देते हुये बात को टाल दिया गया और कह दिया गया कि हमारे पास सिर्फ  यही कार्य नही है अन्य प्रशानिक कार्य भी इस कार्य  में चाहे जितना भी समय लगे हम कह नही सकते।

इसके अलावा नगर के अंदर कई झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा गरीब तबके के लोगों का इलाज ऐसे किया जा रहा है । जैसे इन्हे मध्य प्रदेश शासन द्वारा एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त है। दुर्भाग्य की बात तो यह है कि इन डॉक्टरों के पास रजिस्ट्रेट मेडीकल प्रेक्टिसनर का लायसेंस इलाहवाद,पटना विहार, कलकत्ता एवं भोपाल से लायसेंस लेकर यह लोग प्रेक्टिस कर रहे है। वास्तविक तौर पर इन डॉक्टरों के दस्तावेज चैक किये जाए तो यह पूर्ण रूप से फ र्जी निकलेंगे, और ये डॉक्टर फ र्जी दस्तावेजों के आधार पर लोगों के साथ मौत का खेल प्रशासन की न कार्यवाही के कारण खेल रहे है। कई झोलाछाप डाक्टरो द्वारा यह बताया गया कि इनके द्वारा दस्तावेज 2 हजार रूपये से लेकर 20 हजार रूपये तक में बनवाये गये है। अधिकांश डाक्टरों द्वारा कोई शिक्षा ग्रहण नही की गई बल्कि डिग्री एवं डिप्लोमो को रूपये देकर बनवाया गया है। यह कार्य ब्यापम घोटाले की तरह सामने आ सकता है कि प्रशासन इस तरफ  ध्यान नही दे रहा है।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का मिल रहा है संरक्षण
ऐसा नहीं है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इनके ऊपर लगाम न लगाई हो, मगर एक मुहिम सी चलाकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इन डॉक्टरों के दस्तावेज चैक करने के नाम पर सांठगांठ कर मंथली सुविधा शुल्क के आधार पर इन्हे खुली छूट दे रखी है। कई बार तो गम्भीर स्थिति में कई मरीज ऐसे डॉक्टरों के यहां पहुंचते है, तो उनका इलाज इन डॉक्टरों के द्वारा किया जाता है और जब मरीजों की हालत बिगडने लगती है तो उन मरीजों को सरकारी अस्पताल में भर्ती करा दिया जाता है। कई बार तो सरकारी डॉक्टर भी ऐसे मरीजों पर रिस्क न लेते हुए उन्हे ग्वालियर के लिए रैफर कर दिया जाता है। लेकिन वह मरीज ग्वालियर पहुंचने से पूर्व भगवान को प्यारे हो जाते है।

महंगा इलाज से बचने के लिए पहुंचते है झोलाछाप डॉक्टरों के पास परिजन
प्राइवेट नर्सिंग होमों पर गरीब आदमी इलाज करा नहीं पाता, क्योंकि महंगा इलाज और महंगी दवाएं देने से पूर्व निजी नर्सिंग होम के डॉक्टरों की राय पर मरीज की पहले खूंन, मल-मूत्र की जांच के नाम पर ही हजारों रूपये खर्च हो जाते है। उसके बाद दवाए लेने तक की स्थिति मरीजों की नहीं बनती, जिसके कारण मजबूरी बस गरीब तबके का व्यक्ति इन झोलाछाप डॉक्टरों के यहां ऐलोपैथिक पद्धति से इलाज अपनी मजबूरी समझ रहा है।

इस बीमारियों का कर रहे है इलाज
मौसम के बदलते और तीखे तेबरों तथा मच्छरो के प्रकोप से खतरनाक वायरल से कई लोग बीमार हो रहे है जिनमें बुखार, झुखाम,खांसी, वायरल,वायवैक्स,फैल्सीफेरियम, डेंगू, की बीमारियां इन दिनों अधिकांश लोगों ने देखने को मिल सकती है, जिनका इलाज ये डॉक्टर कर रहे है।

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