साथियों, इलाहाबाद हाईकोर्ट से आज एक बड़ी खबर आई है। रिकवरी के मामले में सिंगल बेंच और डबल बेंच में हारने के बाद दैनिक जागरण ने सिंगल बेंच के ऑर्डर के खिलाफ रिव्यू पेटिशन डाली थी। जिसे माननीय अदालत ने मैरिट के आधार पर खारिज करके जागरण को बड़ा झटका दिया है। अदालत ने 20 जे को ढाल बनाने वाली कंपनियों पर टिप्पणी की और साथ ही कैटेगरी के मुद्दे पर एक कदम और आगे जाते हुए रिक्वासिफिकेशन पर भी स्थिति साफ कर दी। 20जे और कंपनी की कैटेगरी/क्वासिफिकेशन में यह आदेश अन्य साथियों के लिए भी काफी काम का है। आज के रिव्यू और इससे पहले का आदेश सभी साथियों को अपने वकीलों को उपलब्ध करवा देना चाहिए।
जागरण प्रकाशन लिमिटेड बनाम अमर कुमार सिंह के दोनों केस नंबर ये हैं....अदालत ने आज के फैसले में 20जे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि जागरण की बात मान ली गई तो एक्ट ही अप्रभावी हो जाएगा। अदालत ने साथ ही वेजबोर्ड को लागू करने से बचने और समझौते की आड़ में इसकी सिफारिशों से कम वेतन देने पर कंपनियों की निंदा भी की और कहा कि कैसे सालों से वे समझौते की ढाल की आड़ में वेजबोर्ड की सिफारिशों से कम वेतन देते हैं।
अदालत ने कंपनी की कैटेगरी यानि वर्गीकरण पर विस्तार से लिखा है। साथ ही ये भी कहा है कि जागरण ने लेबर कोर्ट में इस बारे में कोई तथ्य पेश नहीं किए। मालूम हो कि कर्मचारियों ने लेबर कोर्ट में सुनवाई के दौरान जागरण प्रबंधन से कई दस्तावेजों की मांग की थी। जिसको जागरण प्रबंधन ने नहीं दिया था। अदालत ने भी पार्ट ऑर्डर में इन दस्तावेजों को फैसले के लिए जरूरी मानते हुए इन्हें जागरण प्रबंधन से तलब किया था। तब भी जागरण प्रबंधन दस्तावेजों को लेबर अदालत के समक्ष पेश नहीं किया था। जिसके बाद लेबर कोर्ट ने दूसरे व अंतिम पार्ट ऑर्डर में कंपनी द्वारा मांगे ना जाने पर दस्तावेज पेश ना किए जाने की बात का भी उल्लेख किया था।
माननीय अदालत ने कहा कि मैरिट के आधार पर ये याचिका खारिज करने योग्य है और दावा याचिका दायर करने वाले प्रत्येक कर्मचारी को 10 हजार रुपये की कास्ट देने के साथ इस आवेदन को खारिज किया जाता है। अपने दावे के लिए न्यायिक प्राधिकारी के पास पहुंचे कर्मचारियों को अॅवार्ड की राशि के साथ इन 10 हजार रुपये की भी वसूली करेगा भुगतान करेगा।
अदालत ने साथ ही किशन लाल मामले में लगी रिव्यू पेटिशन को भी खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि दोनों याचिकाओं में उठाए गए मुद्दे एक समान थे, इसलिए इस याचिका को देखने का कोई कारण नहीं दिखता। इन टिप्पणियों के साथ अदालत ने दोनों रिव्यू पेटिशन खारिज कर दी।
इससे पहले माननीय अदालत ने 25 हजार की कास्ट के साथ जागरण की याचिका को खारिज कर दिया था। जिसके बाद प्रबंधन ने इसके खिलाफ डबल बैंच में गया था, जहां याचिका को सुनवाई योग्य ना मानते हुए खारिज कर दिया था। जिसके बाद प्रबंधन ने रिव्यू याचिका दायर की थी।
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