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22.4.08

बबली तेरो मोबाइल , वह रे तेरो स्टाइल

बबली तेरो मोबाइल , वह रे तेरो स्टाइल ..................................................

चाहे बबली हो या बब्लू , उनके पास कुछ हो या ना हो पर मोबाइल जरुर होगा . लड़किया चाहे पर्श मै मेकप का सामान लाना भूल भी जाए पर मोबाइल कभी नही भूलती .लड़के चाहे पर्श जो उनको सबसे प्रिय है वो तक भूल जाए पर मोबाइल न बाबा ना ---नेवर .बच्चे , बुड्ढे और जवान मागे बस (मोबाइल).मम्मी का पापा का हम सबका प्यारा मोबाइल.और यही नही जिनके पास होता है वो और अच्छा चाहते है ---------ये दिल मांगे मोरे .बाप रे आज की दुनिया कितनी बातूनी हो गई है . ,दुश्रो को देने के लिए भले ही एक रुपैया ना हो पर मोबाइल के लिए हजारो रुपिये पानी की तरह बहा देते है और कोई गम भी नही . आज जिधर देखो लोग बातें बस बातें करते नजर आते है . कोई सड़क के किनारे खडा है , कोई सड़क के बीच भी मोबाइल को कानो से चिपकाए है. अपनी जान की उतनी परवाह नही है जितनी मोबाइल की . सात से सत्तर के पास भी मोबाइल आम बात है , मोबाइल की दौड़ मै गरीब अमीर का कोई भेद नही , भेद है तो बस सस्ते मंहगे का. एक छोटे से बच्चे को भी खेलने को मोबाइल ही चाहिये और अस्शी साल के बुड्ढे को भी चाहे दांत हो या ना हो, मोबाइल हमेशा रहेगा. जय हो मोबाइल जी की .जान से प्यारा मोबाइलसबसे न्यारा मोबाइल हुमारा प्यारा मोबाइल वैशे मोबाइल जी है बड़े काम की चीज.कुछ भी काम हो चुटकी मै हो जाता है मोबाइल से . और तो और त्यौहार भी अब मोबाइल पर ही मना लिया जाता है .पहले तो कुछ ही गिने -चुने त्यौहार होते थे पर मोबाइल जी के आते ही इनकी संख्या लाखो मै पहुँच गई है. आज ये डे ,कल वो डे ,परसों न जाने कौन सा डे ? लोग इतना खुश दोस्त से मिलने पर भी नही होते जितना उश्से मोबाइल पर बातें करने और मेसेज करने पर होते है ।
वाह रे मोबाइल तेरी महिमा अपरम्पार है.राजा को रानी से प्यार है मोबाइल पर सूरज चाँद का यार है मोबाइल परखाना- पीना , सोना- जागना, उठना- बैठना सब भूल गए बस याद रहा तो मोबाइल.अब लड़के को ही देख लो ,घर वालो के काम के लिए चाहे एक मिनट का टाइम ना हो पर अगर प्रेमिका ने मोबाइल घुमाया वो भी मिस कॉल ,मजनू तुरंत हाजिर. और लड़की वो भी कम नही . माँ ने कहा घर का काम करो तुरंत कह दिया पढ़ रही हूँ . ,मजनू का मिस कॉल आते ही (जो उनका कोड नम्बर है) माँ से कह दिया की सहेली के घर पढने जा रही हूँ .चल दी अपने मजनू से मिलने.यही तक सीमित नही है मोबाइल जी की दास्ताँ. अगर कुछ देर के लिए सिग्नल चले जाए तो दुनिया उलट-पलट हो जाती है ,पागल हो जाते है ,इतने परेशान हो जाते है जैशे सब -कुछ उजड़ गया हो. और अगर कही कुछ दिक्कत आ जाए तो लगे खनख्नाने कॉल-सेंटर.
वैसे चाहे कुछ भी कहो ,पर है बहुत ही सुविधाजनक यह मशीन एकदम अल्लादीन के जादुई चिराग की तरह .किसी से कुछ कहना हो तुरंत कह दिया ,किसी से कुछ
पूछना हो ,बताना हो तुरंत कह-पुच लिया। लैला या मजनू को कुछ भेजना हो किसी पास पड़ोसी से कह दिया वो भी तुरंत हो गया .सबकुछ फ़टाफ़ट. भई बहुत ही
फायदेमंद है यह पर नुकशान भी कुछ कम नही.....................

१)बिना जाने-पहचाने बतियाने लगे ,खा ली जीने मरने की कसम और फिर खा गए धोका ,लुट गया सब कुछ।

२)बात-बातो मै खोल दिए घर के सारे राज और हो गया घर साफ।

३)हम तो बतियाते-बतियाते छोड़ आए वो गलिया पर वो ना आया।

४)क्या से क्या हो गया बेवफा तेरे प्यार मै।

५)मोबाइल आते ही जाने कौन कौन कंपनिया लगी फ़ोन खंख्नाने ।

६)रात की नींद टूटी दिन का चैन गया।

७)अपने पास होते हुए भी दूर हो गए।

८)त्योहारों का रंग उड़ गया।

९)पैसे पानी की तरह बह गए और हाथ फिर भी खाली।

१०)दिल-दिमाग की बिमारी हुई सो अलग।

११)आनंद धुन्दने चले थे बेचैनी ,मायुशी, ले आए।

१२)दोस्त -दोस्त ना रहा ,प्यार -प्यार ना रहा।

अगर किसी को फायदा हुआ तो सिर्फ़ और सिर्फ़ कम्पनी वालो को.सो डीअर बातो मै न जाओ ,अपनी अक्कल लगाओ.

2 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

कमला बहन,सुन्दर लेखन है किन्तु अभी भी कुछ लोगों को spelling mistakes की परेशानी हो सकती है पर ये तो आपका अंदाजे बयां है मुझे कोई बुराई नहीं दिखती......

यशवंत सिंह yashwant singh said...

अच्छा विषय चुना, ठीक से खुलासा किया...