इंडियन प्रिमिएर लीग जिसे क्रिकेट का कर्मयुध कहा जा रहा है, क्या ऐसा नही लगता का ये देश के लोगो को अलग अलग भाग मैं खड़ा कर रही है? यदि इसके टीवी विज्ञापन को देखे तो पता चलता है की ये हमें क्या संदेश देना चाह रहे हैं। एक सरदार लड़का जो पंजाब की टीम का समर्थक है, राजस्थान के एक बुजुर्ग को बस मैं इसलिए सीट नहीं देता क्योंकि वो राजस्थान की टीम का समर्थक है या कहें की वो राजस्थान का समर्थक है। अभी तक जो काम राज ठाकरे कर रहे हैं अब उसको पूरे देश मैं फेलाने का काम ये कर रहे हैं। मैं मानता हूँ खेल मैं टीम का समर्थन करना कोई बुरी बात नही है। पर यदि इस विज्ञापन में सरदार लड़का राजस्थान का समर्थक और राजस्थान का आदमी पंजाब का समर्थक दिखाया जाता तब भी ये बात समझाई जा सकती थी और इससे राष्ट्रिय एकता का भी सन्देश मिलता। दूसरी या तीसरी बार ब्लॉग लिखा रहा हूँ, कई दिनों से ये विज्ञापन दिल में खटक रहा था लिखने का मन था पर वक्त नहीं मिलता था। आज हमारे यहाँ नगर पालिका चुनाव की छुट्टी थी और घर पर बैठा टीवी के चंनल सर्फ़ करते करते MTV पर टिकर में एक संदेश दिखा "क्या IPL राज की MNS से अलग है?" बस सोचा आज लिख हे दूँ और लिख दे ये पोस्ट। क्या आपको भी ये बात कुछ अजीब सी लगती है तो जरूर लिखे अपने दिल की बात.
19.4.08
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1 comment:
संजू जी, मैं इस बात को अजीब बिलकुल नहीं मानता बल्कि इससे पूरी तरह से सहमत हूं....
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