तस्वीर बहुत माकूल है मयंक जी. एक सड़ा हुआ आम कैसे पूरी टोकरी के आमों को सड़ा देता है, केपी एस गिल इसका अच्छा उदाहरण है. अब हम हॉकी का भला होता हुआ शायद देख सकते हैं. और हाँ, अगर आप चाहें तो अपने ब्लॉगर डैशबोर्ड पर जाकर बाकी की दो तस्वीर मिटा सकते हैं. इसके लिए आपको भड़ास के पोस्ट वाले आइकन पर क्लिक करना होगा . वरुण राय
भाई , आपने सत्य लिखा मैं ये नही कहूँगा, झूट है ये ये भी नही कहूँगा , के पी एस गिल की काबिलियत पर किसी को शक भी नही होगा क्यूंकि गिल साब ने पंजाब में कई के गिल्ली डंडे उखारे हैं। मगर एक बात तय है की एक बेहतरीन सभी जगह बेहतरीन नही हो सकता। और ये उसे समझना चाहिए। गिल साब की समझ में ये बात नही ई ये दुःख की बात है। जय जय भडास।
गिल जैसे गिलगिले लिबलिबे चिपचिपे सड़ी हुई तानाशाही सोच वाले आदमी के बारे में सही लिखा और व्यंगचित्र तो भाई दशानन का अपमान प्रतीत हो रहा है वो एक विद्वान था और ये सनकी सठिआया हुआ... :)
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तस्वीर बहुत माकूल है मयंक जी. एक सड़ा हुआ आम कैसे पूरी टोकरी के आमों को सड़ा देता है, केपी एस गिल इसका अच्छा उदाहरण है. अब हम हॉकी का भला होता हुआ शायद देख सकते हैं. और हाँ, अगर आप चाहें तो अपने ब्लॉगर डैशबोर्ड पर जाकर बाकी की दो तस्वीर मिटा सकते हैं. इसके लिए आपको भड़ास के पोस्ट वाले आइकन पर क्लिक करना होगा .
वरुण राय
भाई ,
आपने सत्य लिखा मैं ये नही कहूँगा, झूट है ये ये भी नही कहूँगा , के पी एस गिल की काबिलियत पर किसी को शक भी नही होगा क्यूंकि गिल साब ने पंजाब में कई के गिल्ली डंडे उखारे हैं। मगर एक बात तय है की एक बेहतरीन सभी जगह बेहतरीन नही हो सकता। और ये उसे समझना चाहिए।
गिल साब की समझ में ये बात नही ई ये दुःख की बात है।
जय जय भडास।
गिल जैसे गिलगिले लिबलिबे चिपचिपे सड़ी हुई तानाशाही सोच वाले आदमी के बारे में सही लिखा और व्यंगचित्र तो भाई दशानन का अपमान प्रतीत हो रहा है वो एक विद्वान था और ये सनकी सठिआया हुआ... :)
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