आखिर कानपुर की पिच ने भारतवासियों की इज्जत बचा ली। टीम इडिया के धुरंधरों ने िस्पनरों के मदद वाली पिच पर साउथ अफ्रीका को तीसरे टेस्ट में आठ विकेट से मात देकर तीन टेस्ट मैचों की सीरीज १-१ से बराबरी कर ली। या दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि जिस तरह साउथ अफ्रीका ने दूसरा टेस्ट तीन दिनों में ही समाप्त कर दिया, ठीक उसी तरह धोनी के धुरंधरों ने साउथ अफ्रीका को तीसरे दिन ही हराकर बदला चुका लिया।
इस जीत में कानपुर की पिच भी काफी हद तक सहायक मानी जा रही है। वैसे तो मैं लुधियाना में हूं, पर वहां स्टेडियम में मौजूद रिपोटॆरों तथा क्यूरेटर से मालूम पड़ा कि यह पिच खास तौर से स्पिनरों को मदद कर रही थी, जिसका लाभ टीम इंडिया के स्पिनरों को मिला और तीसरा टेस्ट टीम इंडिया ने आसानी से जीत लिया। इस जीत में सौरव गांगुली की भूमिका को भी नकारा नहीं जा सकता, जिसने पहली पारी में 87 और दूसरी पारी में नाबाद 13 रन बनाए। जिसके एवज में उन्हें मैन आफ द मैच के पुरस्करा से नवाजा गया।
वहीं धोनी की हिम्मत की भी दाग देनी होगी, जिन्होंने हरभजन से गेंदबाजी की शुरुआत कराई। हरभजन ने भी अपने कप्तान के भरोसे को कायम रखकर दूसरी पारी में साउथ अफ्रीका के चार विकेट उखाड़ फेंके। उन्हें मैन आफ द सीरीज पुरस्कार मिला। कुल मिलाकर लब्बोलुआब यह है कि कानपुर (ग्रीनपार्क) की पिच की भी शुक्रिया अदा करनी होगी, जिसने हमारी इज्जत बचा ली।
इस जीत में कानपुर की पिच भी काफी हद तक सहायक मानी जा रही है। वैसे तो मैं लुधियाना में हूं, पर वहां स्टेडियम में मौजूद रिपोटॆरों तथा क्यूरेटर से मालूम पड़ा कि यह पिच खास तौर से स्पिनरों को मदद कर रही थी, जिसका लाभ टीम इंडिया के स्पिनरों को मिला और तीसरा टेस्ट टीम इंडिया ने आसानी से जीत लिया। इस जीत में सौरव गांगुली की भूमिका को भी नकारा नहीं जा सकता, जिसने पहली पारी में 87 और दूसरी पारी में नाबाद 13 रन बनाए। जिसके एवज में उन्हें मैन आफ द मैच के पुरस्करा से नवाजा गया।
वहीं धोनी की हिम्मत की भी दाग देनी होगी, जिन्होंने हरभजन से गेंदबाजी की शुरुआत कराई। हरभजन ने भी अपने कप्तान के भरोसे को कायम रखकर दूसरी पारी में साउथ अफ्रीका के चार विकेट उखाड़ फेंके। उन्हें मैन आफ द सीरीज पुरस्कार मिला। कुल मिलाकर लब्बोलुआब यह है कि कानपुर (ग्रीनपार्क) की पिच की भी शुक्रिया अदा करनी होगी, जिसने हमारी इज्जत बचा ली।
जय भड़ास
जय टीम इंडिया
2 comments:
आलोक जी,
बड़ी खुशी की बात है कि कानपुर टेस्ट जीतकर भारतीय टीम ने न सिर्फ़ अपनी बल्कि देश की इज्जत भी रख ली. परन्तु धनलोलुप क्रिकेट बोर्ड का क्या होगा जिसने धन के नशे में मीडिया पर भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. धन के मद में मदांध ललित मोदी जैसे लोग यह मान बैठे हैं कि जिस तरह वो आई सी सी की बांह मरोड़ सकते हैं उसी तरह भारतीय मीडिया को भी घुटने टेकने पर मजबूर कर सकते हैं. देखना है कि मीडिया अपनी स्वतंत्रता पर लगाई जा रही बंदिशों से कैसे निपटती है और मोदी जैसे लोगो का गरूर चूर कर पाती है या नहीं.
वरुण राय
bhai kya jamana aa gaya hai,
pahle hum apne ghar main sher hua karte the, series to jit hi jate the aaj kal draw pe hi khush ho lete hain.
chalo theek hi hai.
naa mama se kanha mama neek ba ho....
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