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2.4.08

प्रिय भड़ासी देवेन्द्र भाई के लिए सप्रेम

(वैसे मैं टिप्पणियों को टिप्पणियों की जगह लिखना ही पसन्द करता हूं। परंतु चूंकि आपने टिप्पणी की जगह जो पोस्ट लिखी है उसका जवाब मैं भी एक पोस्ट लिख कर ही दे देता हूं।)
वैसे मुझे ये ज्ञात नहीं है कि आपको पत्रकारिता या जीवन का कितना अनुभव है परंतु मेरी एक सलाह अवश्य मानियेगा और वो यह कि चाहे वो जीवन हो या पत्रकारिता दुष्यंत कुमार की दो लाईनें सदैव याद रखियेगा :-
”मत कहो आकाश में कोहरा घना है।
यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है।“
यदि आप इस बात को याद रखने के साथ साथ इसका अनुकरण भी करेंगे तो मुझे यकीन है कि व्यर्थ के विवादों से बचे रहेंगे। क्यों कि नाम कमाने के दो तरीके होते हैं या तो विवादों में रह कर या फिर अच्छा काम कर के। और जिन्हें अपने काम पर भरोसा होता है वो किसी पर व्यक्तिगत टिप्पणी करने के कारण विवादों में नहीं आते और जो किसी पर व्यक्तिगत टिप्पणी कर के सुर्खियों में आते हैं वे ज़्यादा देर टिक नहीं पाते।

1 comment:

यशवंत सिंह yashwant singh said...

pakki baat kahi aapne, sachchi baat kahi aapne.


yashwant