इटावा जिले के एक गांव में जमीन के विवाद में वहां की स्थानीय पुलिस ने विवाद को समाप्त करने के लियें जो कार्य किया उससे यह सिद्ध कर दिया कि निजाम चाहे जो भी हो लेकिन पुलिस की कार्य प्रणाली में कोई बदलाव नही आने वाला है । थानों में बडे-बडे बोर्ड लगाकर मानवधिकार का पाठ पढाने वाली पुलिस यहां पर सरे राह पुलिस मानवधिकार को धता बता रही है । एक महिला (जिसे सभ्य समाज मे अबला भी कहा जाता है) के बाल पकड़ कर पिटायी करती हुयी ले जा रही है ।
साभार : दैनिक जागरण ।
16.6.08
यें है हमारी बहादुर पुलिस
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4 comments:
इ कुत्ता सब कभी नाही सुधरी भाई।
वहां के कमिश्नर की जानकारी में उक्त मामला आने पर उसने इन सुअरों की चमड़ी बचाई या इनकी चमड़ी में भुस भरा? जरा इसकी जानकारी दीजियेगा....
तभी कहा था कि डाकुओं के पकडे जाने पर खुशी मत मनाओ कयोंकि हमारे समाज का सबसे बडा डाकु ओर लुटेरा ये खाकी वर्दी वला लिजलिजा गलीज प्राणी है। साले सब जगह अपनी औकात दिखाने से बाज नही आते हैं। इन चुतियों को भी भडास भडास दिखाना होगा।
जय जय भडास
es photo nei vardi utrwa di bhai logo.............jay jay jay bhadas
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