विनय बिहारी सिंह
इसे आप सभी लोग जानते हैं कि हमारे ऋषि मुनियों ने जिसे ध्यान कहा उसे आज मेडिटेशन कहते हैं। नई पीढ़ी का कहना है कि ध्यान शब्द उतना आकर्षक नहीं है जितना अंग्रेजी का मेडिटेशन। ठीक है, कोई बात नहीं। यह बहस का मुद्दा नहीं है। पुराने जमाने में ध्यान मुफ्त में सिखाया जाता था। आज भी कुछ गिनी- चुनी संस्थाएं मुफ्त में सिखाती हैं लेकिन ध्यान का भी व्यवसायीकरण हो गया है। ध्यान सिखाने की माहवारी फीस १००० रुपए है। हफ्ते में एक दिन यहां ध्यान सिखाया जाता है। सबसे सस्ता रेट है ५०० रुपए। लेकिन यहां भी हफ्ते में सिर्फ एक दिन क्लास होता है। ध्यान होता क्या है? आप अपना ध्यान ईश्वर पर केंद्रित करते हैं। ईश्वर ही आनंद और शांति का केंद्र है। दयालु है। हमारा माता- पिता है। यह सोचते हुए आपको ध्यान करना है। अपने मनपसंद देवता की छवि बंद आंखों में रखिए। ध्यान कहां करें? रामकृष्ण परमहंस ने कहा है- सबसे प्रसिद्ध स्थल है हृदय। दूसरा स्थल है दोनों भृकुटियों के बीच में। जहां हम लोग टीका लगाते हैं या स्त्रियां जहां बिंदी लगाती हैं- वहां ध्यान किया जाता है। अब यह आपके ऊपर है कि आप कहां ध्यान करना पसंद करते हैं। ध्यान से क्या लाभ होता है? कई लाभ हैं। पहले तो आपका मन शांत होने लगता है। परेशानियों में आप बहुत तनावग्रस्त नहीं रहते। सबसे बड़ी बात आपका जीवन सुखमय होता है।
1 comment:
thank you so much for the information
Post a Comment