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4.3.09

कभी शब्दों में गहराई है....

कभी शब्दों में गहराई है
कभी उदासी छाई है
इस सुनी हुई बगिया में
कभी खुशबु , कभी पतझड़ ,
कभी बहार ,कभी आवाज
खिलखिलाती आई है
चंचल तितली, मस्त पवन
शीतल जल ,चहकता मन ,
ये सब देख आस भर आई है
हमें अंधियारा उजाला लगे
शाम भी अब सबेरा लगे
जबसे एक परी
इस उजड़ी बगियाँ में आई है
कोमल कोमल स्पर्श उसके
अब दुःख भी सुख लगने लगे
हर जगह ऐसी खुशी छाई है

1 comment:

RAJNISH PARIHAR said...

मेरे घर आई एक नन्ही परी....कुछ वैसे से भाव जगाती.. है आपकी रचना...मेरी शुभकामनाएं...