एक लड़की की कहानी ,लड़की की जुबानी , कहती हैं रुबीना फातिमा -
उसमें तिश्नगी भी है
उसमें ज़िन्दगी भी है
उसमें बंदगी भी है
क्योंकि वो लड़की है
वालदैन की फिक्र भी है
बहन का दर्द भी है
हमसफ़र की तड़प भी है
क्योंकि वो लड़की है
हाथ में छाले होश नहीं
रो - रो के ऑंखें लाल हुईं
ख़ुद से वो बेखबर सी है
क्योंकि वो लड़की है
इधर माँ के दर्द की कराह
उधर हमनशीं का पागलपन
न जाने कौन सी खलिश सी है
क्योंकि वो लड़की है
दुनिया से लड़ने को तैयार
क़दम - क़दम पे सिसकियाँ
मुस्कराहटों की जुस्तुजू सी है
क्योंकि वो लड़की है
नज़र बचाके कहाँ जाए
मुहब्बत से मामूर सीना कहाँ ले जाए
सरापा प्यार की पैकर सी है
क्योंकि वो लड़की है
क्रोशिया , फाउन्तैन, पेंटिंग
और क्या आता है तुम्हें
इन सवालों की झड़ि सी है
क्योंकि वो लड़की है
सर से ओढो दुपट्टा
घर से क़दम बाहर न निकालो
दिल में उठे तलातुम की लहर सी है
क्योंकि वो लड़की है
वो गज़लों की शान हुई
शायरों की ख्याल हुई
अदब में भी वो अदब सी है
हाँ है , वो लड़की है
- रुबीना फातिमा "रोजी"
25.5.09
क्योंकि वो लड़की है
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
rubeenaji waah waah ...bahut khoob
achhi kavita k liye
HARDIK BADHAI
Rubeena ji,
swagat hai apki rachna ka. behad pasand aayi. madhya pradesh ke ek leading akhbar se juda hu, apki rachnayo ko prakashit karne ki abhilasha hai. jaruri samjhe to mail kare... annyatha shubhkamna grahan kare,
avinash shrivastava
+919009665235
Post a Comment