अमेरिका के एक शस्त्र नियंत्रण संस्थान ने उपग्रह से प्राप्त कुछ तस्वीरें जारी की हैं जिनसे पता है कि पाकिस्तान ने अपने परमाणु शस्त्र उत्पादन गतिविधियों में असामान्य ढंग से वृद्धि की है तथा वह भारत के साथ परमाणु शस्त्रों की होड़ कर रहा है। विज्ञान एवं अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा संस्थान (आईएसआईएस) द्वारा जारी इन तस्वीरों में खुलासा हुआ है कि डेरा गाजी खान में एक रासायनिक संयंत्र का बड़े पैमाने पर विस्तार किया जा रहा है, जहां यूरेनियम हेक्सल, फ्लूराइड तथा यूरेनियम धातु तैयार की जाती है। इनका इस्तेमाल परमाणु हथियारों में किया जाता है। आईएसआईएस के विशेषज्ञों के अनुसार रावलपिंडी के निकट एक संयंत्र की तस्वीरों से पता चलता है कि पाकिस्तान ने एक नए प्लूटोनियम संयंत्र का निर्माण किया है। पाकिस्तान ने हाल के वर्षों में दो प्लूटोनियम संयंत्रों का निर्माण किया है।ये सभी विस्तार गतिविधियां संकेत करती हैं कि पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों की विध्वंसकारी क्षमता और मारक क्षमता बढ़ाने की एक रणनीतिक योजना पर तेजी से प्रगति कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार इस विस्तार योजना के बाद पाकिस्तान छोटे और हल्के प्लूटोनियम के संलमन आधारित हथियार और परमाणु तापीय हथियार बनाने में सक्षम हो जाएगा, जिनमें प्लूटोनियम को परमाणु ट्रिगर के रुप में इस्तेमाल किया जाता है तथा कृत्रिम रुप से संवर्द्धित एवं प्राकृतिक रुप से संवर्द्धित यूरेनियम द्वितीयक स्रोत के रुप में प्रयुक्त होता है।रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने कहा है कि पाकिस्तान के पास 60 से लेकर 100 परमाणु हथियार पहले से ही हैं, जिन्हें विमान या बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र से छोड़ा जा सकता है। यह जखीरा उसकी जरुरतों के कहीं ज्यादा है। विशेषज्ञों ने पाकिस्तान की मंशा पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा है कि डेरा गाजी खान संयंत्र में परमाणु शस्त्र उत्पादन गतिविधियां एकदम गैर-जरुरी है। पर्याप्त से अधिक परमाणु हथियार होने के बावजूद और हथियार बनाने की गतिविधियां भारत के साथ खतरनाक एवं निरर्थक होड़ के अलावा ओर कुछ नहीं है।रिपोर्ट में पाकिस्तान के वर्तमान हालात और तालिबान एवं अल-कायदा के बढ़ती गतिविधियों का हवाला देते हुए परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर आशंकाएं व्यक्त की गई हैं तथा अमेरिका से आग्रह किया गया है कि वह पाकिस्तान को तुरंत रोके और प्लूटोनियम एवं उच्च संवर्द्धित यूरेनियम के उत्पादन पर प्रतिबंध को लेकर नई संधि की बातचीत की प्रक्रिया में शामिल होने के लिए राजी करे। परमाणु हथियार कार्यक्रम पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों ने अमेरिका को चेताया है कि पाकिस्तान दुनिया में सबसे अधिक तेजी से अपने हथियार विकसित कर रहा है।लेकिन इसके बावजूद अमेरिका पाक को आर्थिक सहायता के रूप में करोड़ों डॉलर बांट रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति की इस मामले पर चुप्पी पर कई अमेरिकी जानकारों ने सवाल उठाए हैं। आखिर यह अमेरिका की कौन सी नीति है. एक तरफ वह कुछ देशों पर परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव डालने से भी पीछे नहीं रहता और दूसरी तरफ पाकिस्तान जैसे आतंकवाद ग्रसित देशों को इसकी मौन स्वीकृति देता है. - यह दोहरी नीति अमेरिका के हित में है या नहीं, यह तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन यह पूरे विश्व और भारत जैसे शान्ति पसंद देशों को अनावश्यक युद्ध की विभीषिका में झोक सकता है.पूरे विश्व को दृढ इच्छा शक्ति के साथ परमाणु हथियारों का निरोध व प्रतिरोध करना चाहिए. इस धरती को परमाणु शस्त्रो से मुक्त कर देने में ही सबकी भलाई है. खैर...न जाने लोग यह बात कब समझेंगे ?
साभार- 'मेरी पत्रिका'
23.5.09
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