अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
''बिना रुके ,मंजिल की और रहो बढ़ते ।पर्वत श्रृंखालाओ को जीतने कीगर है चाहत ,एक-एक करके ,चोटियों परसदा रहो चढ़ते ।सबक अच्छाईयों के सीखनेके लिए ।सद साहित्य को हरदमरहो पढ़ते।सफलता पाने का बसरास्ता है यही ।गिर-गिर के संभलोमगरसदा ही रहो चलते । ''
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