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17.5.09

जनता जनार्दन का फैसला

सुनीत निगम,
समाचार संपादक, विराट वैभव
नयी दिल्ली

sunitnigam@gmail.com

जनता ने अपना फैसला सुना दिया। सच पूछिये तो बयानबाजी, आरोप-प्रत्यारोप, बड़े बोलों को दरकिनार करते हुए उसने चुपचाप अपने दिल की बात राजनेताओं तक पहुंचा दी। अब राजनेताओं को अच्छी तरह से समझ में आ गया होगा कि बातें कम काम ज्यादा करने का समय आ गया है। प्लीज, जनता को बेवकूफ न समझें, वह दौर समाप्त हुआ। अब नो मोर बकवास, केवल सीधी बात। 
मीडिया ने जितना योगदान मतदाताओं को जागरूक करने में दिया, काबिले तारीफ है। अब जनता ने मनमोहन सिंह को न्योता दिया है कि वे दोबारा केन्द्र की सत्ता पर काबिज हों और देश में विकास के काम निपटाएं। हां! उन्हें रोकने, उन पर दबाव की राजनीति करने वाले वामपंथियों को भी जनता ने उनकी औकात दिखा दी है। कल तक दबाव बनाकर कांग्रेस को अपने इशारों पर नचाने वाले लालू, पासवान सरीखे नेताओं से किंगमेकर का खिताब छीनकर जनता ने कांग्रेस को इतनी ताकत दी है कि वह अपने बूते पर कोई भी फैसला ले सकती है। 18 साल बाद...फिर वह समय आया, जब कांग्रेस को क्लीन स्वीप मिला। जनता ने न केवल कांग्रेस को बल्कि उसके घटक दलों को भी समर्थन दिया। इन नतीजों से आश्चर्य तो हुआ लेकिन अच्छा भी लगा कि जनता ने तृणमूल कांग्रेस को वामपंथियों के गढ़ में सेंध लगाने में साधन मुहैया कराये। केरल में भी वामपंथियों का सूपड़ा साफ हो गया। महाराष्ट्र व उत्तराखंड में कांगे्रस ने भाजपा को खंड-खंड कर दिया है। और तो और जनता के फैसले से उन नेताओं के सपने चकनाचूर हो गये, जो पीएम बनने का ख्वाब देख रहे थे। जनता ने उन्हें समझा दिया कि दिन में खुली आंखों से सपने देखना कितना भयानक होता है। इन परिणामों से जनता जनार्दन ने नेताओं को मैसेज दे डाला है कि आवाम को चाहिए काम और सिर्फ काम, न राम का नाम, न किसी पर इल्जाम। राहुल गांधी जैसे यंग नेताओं की भागदौड़ रंग लायी। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का उलटफेर भी कम चौंकाने वाला नहीं है। करीब तीन लाख युवा मतदाताओं ने अपना संदेश दे डाला कि वे सचमुच के मजबूत नेता को देश की बागडोर सौंपना चाहेंगे न कि हवा-हवाई मजबूत नेता को। हालांकि ओल्ड इज गोल्ड तो होता है लेकिन देश चलाना ओल्ड नेताओं के बूते की बात नहीं है, इसलिए युवाओं को आगे आने दो और देश को चलाने दो। यही कारण है कि कांग्रेस ने दिखाया कि उनके पास युवा नेताओं की कमी नहीं है, जबकि भाजपा में ढंूढऩे पर भी युवा नेता मिलते नहीं बनता। वरुण की बात छोड़ दें तो भी भाजपा में युवा नेताओं का अकाल है। खैर, जो फैसला जनता ने दिया है उसे सभी दलों को स्वीकार करना चाहिए और अपने-अपने दायित्वों को पूरा करने में जुट जाना चाहिए। अब सबसे ज्यादा जिम्मेदारी कांग्रेस की बनती है कि दूसरी पारी में वह जनता की उम्मीदों पर और खरी उतरे और विकास की रफ्तार को धीमी न पडऩे दे। 

2 comments:

Unknown said...

vah vah vah vah
achhi post k liye badhaiyan

Randhir Singh Suman said...

good.suman. lokshangharsha.blogspot.com barabanki u.p.