जलपाईगुड़ी इनदिनों चाय बागान श्रमिक दहशत की जिंदगी जीने को मजबूर है। रातों की नींद व दिन का चैन उड़ गया है। घर से बाहर निकलने को आतंक से दिल कांप रहा है। हर मां अपने बच्चों को खोने की डर से बेचैन हो रही है। नजरों से ओझल होते ही मां साये की तरह पीछा करने लग जाती है। यह स्थिति है आज की तारीख में डुवार्स के चाय बागानों की। इनदिनों डुवार्स के विभिन्न चाय बागानों में तेंदुए का हमला बढ़ रहा है। आये दिन तेंदुए के हमले से मौत की घटनाएं घट रही है। डीएफओ तापस दास ने बताया कि इनदिनों चाय बागानों से तेंदुए निकल रहे हैं। पहले ऐसा नहीं होता था क्योंकि पहले चाय बागानों में जंगल था इसलिए तेंदुए चाय बागान के आसपास के जंगलों में रहने पर भी पता नहीं चलता था। उस समय तेंदुए को रहने की जगह होती थी वह उतना खूंखार नहीं हुआ करता था। इनदिनों चाय बागान प्रबंधन द्वारा चाय बागानों का सफाया किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि तेंदुए चाय बागानों में ही बच्चों को जन्म देते है इसलिए चाय बागानों के इर्दगिर्द तेंदुए का निकलना स्वभाविक ही है। इनदिनों तेंदुए के चाय बागानों से निकलकर लोगों पर हमला करने लगे है। तेंदुए खासकर बच्चों व पालतू जानवर जैसे बकरी व मुर्गियों को अपना शिकार बना रहे हैं। इस वर्ष अबतक तेंदुए ने चार बच्चों को अपना शिकार बनाया है। डीएफओ तापस दास ने बताया कि आंकड़ों के अनुसार 2007 में रूद्रप्रयाग में 125 लोगों की मौत तेंदुए के हमले से हुई है। केन्द्र शासित प्रदेशों में 150 लोगों की मौत हुई है। दूसरी तरफ महाराष्ट्र में 254 व पश्चिम बंगाल में 125 लोग तेंदुए के हमले के शिकार हुए। दूसरी तरफ गुजरात में 877, उत्तरांचल में 352 व महाराष्ट्र में 250 लोगों की मौत का कारण बना तेंदुआ। उत्तर बंगाल के डुवार्स में तेंदुए आदमखोर बन जाने से वनविभाग चिंतित है। डीएफओ तापस दास ने बताया कि तेंदुए क्यों यहा आदमखोर बन गये है इसे लेकर जांच शुरू कर दी गयी है। उन्होंने बताया कि हाल ही में गत एक सप्ताह में गुडहोप चाय बागान के अभिषेक उरांव व शिवानी नायेक तेंदुए का शिकार बने। उत्तर बंगाल के डुवार्स में तेंदुए के इस तरह आदमखोर बन जाने को लेकर वनविभाग खासे चितिंत है। डीएफओ ने बताया कि लोगों को रात में न निकलने व जब भी निकले तब एकसाथ निकलने की सलाह दी जा रही है। रात को टार्च लेकर निकलने व श्रमिकों को बागान में काम शुरू करने से पहले की सलाह पटाखे जलाने की सलाह दी जा रही है। (साभार)
24.5.09
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1 comment:
bachaav ka koi rasta toh nikaalna hi chahiye...........aakhir mazdooron ki zindgi bhi kuch keemat rakhti hai
achhi post....upyogi post
badhai
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