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6.9.09

यह सूचित करना प्रासंगिक होगा कि मैने महाकवि कालिदास कृत रघुवंशम् तथा मेघदूतम् का भी श्लोकशः पद्यानुवाद किया है . जिसके लिये मुझे प्रकाशको की तलाश है .

शयन प्रार्थना

करचरणकृतं वाक्-कायजं कर्मजं वा
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम्।
विहितमविहितं वा सर्वमेतत् क्षमस्व
जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शंभो।

अर्थ: हे! महादेव मेरे ज्ञात-अज्ञात पापों को नष्ट करें, जिन्हें मैंने हाथ, पैर वाणी, कान आंखों या मन से किए हों। हे! करुणा के सागर, आप की जय हो।
विधि: सोने से पहले बिस्तर पर ही बैठकर हाथ जोडकर प्रार्थना करनी चाहिए।
लाभ: मानसिक तनाव दूर होता है और अच्छी नींद भी आती है।


हिन्दी भावानुवाद

द्वारा ..... प्रो. सी. बी. श्रीवास्तव विदग्ध


हाथ , पैर , मुख देह , मन , नयन श्रवण कृत साध
दयावान शिव दें क्षमा , यदि कोई मम अपराध !!

संपर्क ...ओबी ११, विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर mob. 09425806252

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