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26.10.09

-देदून प्रेस क्लब म तालेः क्यों चुप हैं पत्रकारों के हितों की बात करने वाले संगठन

देहरादून। राजधानी का प्रेस क्लब दो गुटों की लडाई के चलते सैकडों जरूरतमंद पत्रकारों के बैठने का स्थान न मिलने के चलते परेशानियों का सबब बन गया है। वहीं प्रशासन गुटों में बंटे पत्रकारों का फायदा उठाकर अब इसे अधिगृहित करने का विचार कर रहा है जबकि प्रेस क्लब के स्थान पर मॉल बनाये जाने की चर्चा भी पिछले काफी दिनों से जोर पकड रही है हालांकि इस चर्चा को पत्रकारों के एक गुट ने ही उडाया है। चौथा स्तम्भ माने जाने वाले पत्रकारों का प्रदेश स्तर का उत्तरांचल प्रेस क्लब जहां पत्रकारों के हितों की बातों को करता हुआ दिखा करता था अब वह बंद होने के कारण ऐसा नहीं कर पा रहा जिससे सैकडों पत्रकारों को गंभीर चर्चाएं एवं बैठने के लिए स्थान तक मौजूद नहीं हैं। हर साल होने वाले वार्षिक चुनाव के दौरान देखी जाने वाली एक जुटता भी अब देखने को नहीं मिल रही और सरकार द्वारा दिये जाने वाले धन का उपयोग भी ठीक ढंग से नहीं हो पा रहा। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा पत्रकारों के हितों के लिए बना उत्तरांचल प्रेस क्लब आज अपनी खुद की जमीन बचाने के लिए झटपटा रहा है और पत्रकारों के तमाम संगठन जो पत्रकारों के हित की बात किया करते थे चुप्पी साधे बैठे हैं। दो गुटों में हुई अहं की लडाई में उत्तरांचल प्रेस क्लब के अध्क्ष योगेश भट्ट, महामंत्री देवेन्द्र सती ने समूचे प्रेस क्लब को जो नुकसान पहुंचाया उसकी भरपाई भविष्य में कभी भी नहीं हो सकती। आज सभी पत्रकार एक स्थान पर होने की बात कह तो रहे हैं लेकिन कोई भी प्रेस क्लब को दोबारा खोलने की बात करता हुआ धरातल पर नहीं देखा जा रहा।
उत्तराखंड श्रमजीवी पत्रकार संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अरूण शर्मा का कहना है कि प्रेस क्लब को शीघ्र खोला जाना चाहिए जिससे पत्रकारों के हितों की लडाई इसी के बैनर तले लडा जा सके औरसरकार द्वारा मिलने वाला धन का उपयोग भी पत्रकारों के हितों में हो सके। वरिष्ठ पत्रकार सुभाष गुप्ता का भी कहना है कि प्रेस क्लब को शीघ्र खोलकर वहां आपसी झगडे खत्म करने चा हिए और एक स्वस्थ वातावरण में वहां दोबारा से वैसी ही गंभीर चर्चाएं शुरू होनी चाहिए जो पहले हुआ करती थी। यदि आपसी एकजुटता से सभी लोग एक मंच पर आएं तो पुनः प्रेस क्लब की गरिमा को वापस लाया जा सकता है।
वरिष्ठ पत्रकार अविकल थपलियाल का कहना है कि प्रदेश की सबसे बडी बॉडी के रूप में उत्तरांचल प्रेस क्लब हमेशा ही पत्रकारों के हितों में बात किया करता था लेकिन आपसी लडाई के चलते सभी पत्रकारों की मर्यादा को जो ठेस पहुंची है उसका फायदा प्रशासन के लोग ही उठा रहे हैं और उत्तरांचल प्रेस क्लब की छवि पूरे प्रदेश में धूमिल हुई है। जबकि सरकार द्वारा दिये गये करोडो रूपये का खर्च भी पत्रकार हितों के लिए नहीं हो पा रहा। उनका कहना है कि पत्रकारों के हितों की बात एक मंच पर लडकर नहीं लडी जा रही जिसका नुकसान पत्रकारों को उठाना पड रहा है। वहीं प्रेस क्लब अध्यक्ष योगेश भट्ट का कहना है कि पत्रकारों के हितों की लडाई हमेशा एक मंच पर मिलकर लडी जाती रही है लेकिन कुछ लोगों के कारण प्रेस क्लब को बंद होना पडा यह बेहद दुर्भाग्य पूर्ण घटना थी। लगातार प्रेस क्लब को खोले जाने के प्रयास किये जा रहे हैं और शीघ्र ही इसमें सफलता हाथ लगेगी।
प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष राकेश चंदोला का भी कहना है कि प्रेस क्लब को शीघ्र खोला जाना चाहिए जिससे पत्रकारों के हितों की लडाई एक मंच पर आकर लडी जा सके। हमेशा से ही प्रेस क्लब पत्रकारों के हितों की बात करता आया है लेकिन कुछ लोगों ने इसे अपनी बपौती समझ लिया था जिस कारण प्रेस क्लब को बंद होना पडा यह बेहद दुर्भाग्य पूर्ण था। वहीं पत्रकार मनोज कंडवाल का भी कहना है कि प्रेस क्लब खोला तो जाना चाहिए लेकिन वहां होने वाली राजनीति नहीं होनी चाहिए और पत्रकारों के हितों के लिए होने वाली बातों को ही किया जाना चाहिए जिससे प्रेस क्लब की गरिमा बनी रहे।

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