जैसी आशंका थी वाही हुआ , वामपंथी अपने मकसद में सफल हो गए और गोरखपुर में उनका झंडा उठाने वाले काफी संख्या में मिल गए , अब उन तथाकथित बुद्धिजीवियो को भी शान्ति मिल गयी होगी जो मजदूरो का आन्दोलन भड़का रहे थे , क्योकि अब इन्हे बेरोजगार हुए ४०० मजदूरो और उनके परिवार की नेतागिरी करने का मौका मिल गया । शाबाश बुधिजिवियो इसी तरह तोड़ते रहो आदमी को । ख़बर को विस्तार से जाने क्लिक करे
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25.10.09
शाबाश बुद्धिजीवियो !
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