पत्रकार दुनिया के लिए लडाई लड़ता है, लेकिन अपने लिए क्यों नही, अभी दीपावली पैर पत्रकारों पर कुछ असामाजिक तत्वों ने हमला कर दिया। लेकिन मजाल है की किसी अखबार ने कुछ छापा हो। उल्टा राजनीती और कर रहे हैं। कोई कह रहा है शराब पीकर हंगामा किया था। कोई कहता है हफ्ता वसूल करने गए होंगे। अरे मैं तो कहता हूँ। कुछ भी वहां पैर हुआ हो। तो क्या हर किसी को कानून अपने हाथ मैं लेने का अधिकार मिल जाता हैं। नहीं जो हुआ ग़लत हुआ। आज ३ पत्रकार असामाजिक तत्वों का शिकार हुआ हैं। कल ३०० होंगे और परसों ३०००। इसके लिए सभी पत्रकारों को आवाज उठाना चाहिए। लेकिन ग्वालियर की पत्रकारिता जितनी राजनीती शायद ही कहीं हो। जागो पत्रकार जागो। अभी भी समय है.
20.10.09
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