कहते है क्या सही है और क्या गलत इसका फैशला तो हो जाता है किसी से भी छुप नहीं सकता,और वही हुआ खेल सुरु होने के चंद दिनों पहले,जब पुल ने खुद ही चिल्ला चिल्ला कर सबसे कह डाला की “मैंने(पुल) तो पहले ही सबसे कहा था की “रेत कम कर वरना टूट जायेगा”लेकिन इधर इसकी सुनने वाला कौन था,और आखिर वही हुआ,हाँ अभी जो कुछ इज्जत बची है की पुल गेम के समय में नहीं टुटा तो इसका पूरा श्रेय खुद पुल को ही जाता है जो यह निर्जीव चीज देश के प्रति वफादारी दिखाते हुए पहले ही सलेंदर बोल गया!खैर छोडिये यह पुल कितना भी कमजोर हो कम से कम इसमें इतनी तो ताकत टूटने के बाद भी दिखी की दिल्ली की मुख्यमंत्री ने तत्काल मीटिंग बुलवा डाला ! अब आखिर ये भी क्या करें एक तरफ तिन अक्तूबर दिखाई दे रहा है जो १८० से भी अधिक की रफ़्तार से अब करीब होता नज़र आ रहा है तो वहीँ दूसरी तरफ यमुना जी बार बार रह रह कर इनके ध्यान को अपने तरफ आकर्षित कर दे रही है,यमुना जी अलग कह रही हैं की भाई विदेशी हमारे जमी पर आयें और हम स्वागत में पीछे हों ये ही नहीं सकता, हाँ पानी अधिक होने से जहाँ हजारों लोगो को दिक्कतों का सामना करना पद रहा है वही एक फायदा तो हुआ ही कम से कम सारा कचरा तो ढक ही गया जो विदेशियों को नहीं दिखेगा,अब कोई और कचरा हो तो उसके बारे में नहीं कहा जा सकता,अब अगर यमुना जी से दिमाग हटे भी थोड़ी देर के लिए तो फिर सुरक्छा का ध्यान आ जा रहा होगा आखिर विदेशियों को सुरख्छित भी तो करना है,इधर जमा मस्जिद के सामने वाला कांड पहले ही चेतावनी स्वरूप देखा जा चूका है!खैर छोडिये पुल के लिए तो ये कह दिया गया है की खेल सुरु होने से पहले पुल को दुबारा तैयार कर लिया जायेगा,देखा जाय कुछ ही दिन तो इंतजार करना है ना, खैर पुल टूटे या फिर बाढ़,जो होना है वो तो हो के ही रहेगा,हाँ खेल की ही बात हो रही है! तो फिर खिलाडियों के उत्साह को बढ़ाने के साथ साथ सबके उत्साह को बढ़ाने की जरुरत है और खेल का लुत्फ़ लेने की जरुरत है!
23.9.10
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