भारत में बाल विवाह को रोकने सम्बंधी चाहे कितने ही कानून बन जायें, लेकिन इनका रोक पाना बहुत ही मुश्किल है। नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन रिप्रोडक्टिव हेल्थ के एक रिसर्च अनुसार, देशभर में कम उम्र में लड़कियों की शादी का औसत आंकड़ा 44.5 फीसदी है। वहीं अगर बात करें उत्तर प्रदेश की तो उसका नाम इस लिस्ट में सबसे ऊपर है। प्रदेश के श्रावस्ती जिले में ही ८२.०९ फीसदी नाबालिग बेटियों को परिणय सूत्रों में बांध दिया जाता है। महिला और बाल कल्याण मंत्रालय के मुताबिक श्रावस्ती और बहराइच के स्थिती बेहद ही चिंताजनक बनी हुई है। यूपी ही नहीं देश के बाकी राज्यों में भी १८ साल से कम उम्र की लड़की को ब्याह दिया जाता है।
इसका सबसे बड़ा कारण गरीबी और शिक्षा का आभाव है। ये आंकड़ा तब और बढ़ जाता है जब किसी गरीब की बड़ी बेटी की शादी होती है, तो वो कोशिश करता है कि इसी खर्चें में उसकी नाबालिग लड़की के भी फेरे पड़ जाये। यानि मजबूरी के आगे वो ना चाहते हुए भी चोरी छिपे इस अपराध को करने का जोखिम लेता है। विश्व में जहां एक तरफ भारत कामनवेल्थ गेम्स के नाम पर करोड़ों रूपये बहाये जा रहे है, वहीं दूसरी ओर देश के नागरिक पैसों के आभाव में कुछ भी करने को तैयार है।
28.9.10
गरीबी के कारण नाबालिगों का विवाह
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2 comments:
badi hi sharmnak isthiti he janab
कहते हैं की गरीबी में बच्चे जल्दी बड़े हो जाते हैं, पर इतने बड़े तो नहीं हो जाते की शादी कर दी जाये
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