नफरत के जब बीज बो रहे , धर्म ध्वजा के पहरेदार ।
प्रेम अहिंसा भाईचारा , कैसे भगवान बचायेंगे हर बार ।
रघुपति राघव राजा राम , जोर से बोलो जय श्रीराम ।
मंदिर वहीँ बनायेगे , हम देश में दंगा करवाएंगे ।
बच्चा बच्चा राम का , जन्मभूमि के काम का ।
सुलह नहीं हो पायेगी , रथ यात्रा फिर से आएगी ।
ये तो केवल झांकी है , अभी पूरा नाटक बाकी है ।
याचना नहीं अब रण होगा , संघर्ष बड़ा भीषण होगा ।
नीव खोद हम डालेंगे , मंदिर उसमे निकालेंगे ।
सपथ तुम्हे श्रीराम की , अबकी बारी राम की ।
जो जन्म भूमि के काम ना आये , वो बेकार जवानी है ।
जो रक्त ना खौले इस पर भी, वो रक्त नहीं बस पानी है ।
राम लला हम आयेंगे , ढांचा सभी ढहायेंगे ।
मंदिर अबकी बनायेंगे , हम धर्म ध्वजा फहराएंगे ।
जो न्याय नहीं कर पाएंगे , हम उनको सबक सिखायेंगे ।
इतिहास के काले पन्नों को , हम केसरिया कर जायेंगे ।
तेरे नाम पर अपनी रोटी , सेंक सदा हम खायेंगे ।
भारत वर्ष को कैसे भी हम , हिन्दू राष्ट्र बनायेंगे ।
अल्ला हो अकबर-अल्ला हो अकबर ,इस्लाम के काम हम आयेंगे ।फतवा जारी करो इमाम , लड़ने हम सब जायेंगे ।सूखी रोटी खायेंगे पर , हम मस्जिद वहीँ बनायेगे ।आक्रमणकारी बाबर के , नाम को सदा बचायेंगे ।क्या है साक्ष्य राम थे जन्मे , भारत वर्ष की भूमि में ।हाँ बाबर निश्चित आया था , चढ़ भारत वर्ष के सीने पे ।मंदिर बन गया अगर वहां , इस्लाम खतरे में पड़ जायेगा ।वो मर कर जन्नत पायेगा , जिहाद के काम जो आएगा ।अगर बनी ना मस्जिद अपनी , खून खराबा हो जायेगा ।कश्मीर से लेकर केरल तक , हर चप्पा-चप्पा थर्रायेगा ।हमें ना समझो तुम कमजोर , पडोसी भाई भी आएगा ।जो हमसे टकराएगा , वो दोजख में जायेगा ।हँस कर लिया था पाकिस्तान , लड़ कर लेंगे हिंदुस्तान ।घास फूस जो खायेगा , वो क्या हमसे लड़ पायेगा ।ये कैसे हो सकता है , सुलह करें हम काफ़िर से ।कैसे माने उसे फैसला , जो ना हो मन माफिक से ।
प्रेम अहिंसा भाईचारा , कहो कैसे बचायेंगे पैगम्बर ।
नफरत के जब बीज बो रहे , सब धर्मो के आडम्बर ।
© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 विवेक मिश्र "अनंत" 3TW9SM3NGHMG
4 comments:
bhai kamal kiya.
thik samaya par diya.
donon pakshon ko liya.
sabako barabar jiyaa.
magar nyaay kahan kiyaa?
कभी मैं भी ऐसी बातें करता था, कुदला लेके बाबरी पर सबसे आगे था मैं
bahut hi badiya, shreeman.
aapki pratibha or dristi ki dad deni padegi
bahut accha lekhan hai. ekdam satik chot ki hai.kash dharam ke thekedaron ko saram aye.
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