उत्तराखंड में आयी दैवीय आपदा पर भी राजनैतिक रोटियां सेकने से बाज नहीं आ रही है कांग्रेस
मुख्यमंत्री ‘निशंक’ ने कहां आपदा की इस घड़ी में बयानबाजी नहीं जिम्मेदारी निभाए –कांग्रेस
--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------मुख्यमंत्री ‘निशंक’ ने कहां आपदा की इस घड़ी में बयानबाजी नहीं जिम्मेदारी निभाए –कांग्रेस
उत्तराखंड में कुदरत के कहर ने सब कुछ तबाह कर दिया है। राज्य में मची इस तबाही के बाद हुए नुकसान का लेखा-जोखा राज्य सरकार ने तैयार कर लिया है। राज्य के मुख्यमंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक खुद उस हर आपदा ग्रस्त क्षेत्र का दौर कर रहे है जहां लोग इस प्राकृतिक आपदा के सबसे ज्यादा शिकार हुए है। डॉ.निशंक खुद तो हर जिल में में इस प्राकृतिक आपदा से हुई हानि का जायजा लेने हर दिन जा ही रहे है,साथ ही अधिकारियों को भी आपदा प्रभावित क्षेत्रों में समुचित इंतजाम किए जाने के निर्देश भी दे रहे है। ताकि राहत कार्यों में तेजी लायी जा सके।
डॉ.निशंक पूरे उत्तराखंड में गांव-गांव जाकर प्रभावित लोगों से भी बातचीत कर रहे है। और उनकी समस्याओं को सुन उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिला रहे है। निश्चित तौर पर इस बार उत्तराखंड में कुदरत का खौफ लोगों के जेहन में समा गया है। बादल,बारिश,बाढ़ और भूस्खलन हर रूप में प्रकृति ने हाहाकार मचाया है। इस खौफ में किसी ने अपना पूरा परिवार खो दिया,किसी ने मां-पिता और किसी ने छोटे-छोटे बच्चे,पहाड़ पर कोई ऐसा नहीं बचा जिसने इस कहर का जुल्म नहीं सहा हो। जन-जीव-जन्तु हर कोई इस प्राकृतिक आपदा का शिकार हुआ।
ऐसे समय में जब प्रदेश को एक भंयकर कालखंड खुद की आगोश में ले चुका हो। और प्रदेश का मुखिया घर-घर जाकर प्रभावित लोगों की मदद कर उन्हें इस भंयकर सदमें से बाहर निकालने में लगा हो,उन्हें हर स्तर पर मदद करने के लिए अपने स्तर से हर प्रयास कर रहा हो। ऐसे में जब आपदा के नाम पर राज्य सरकार को पांच सौ करोड़ रूपये आपदा राहत के रूप में देने पर विपक्षी पार्टी कांग्रेस,इस आपदा के शिकार हुए लोगों के दुःख पर राजनैतिक रोटियां सेकने में लग जाएं तो निश्चित तौर पर इन पार्टियों के लिए इससे बड़े शर्म की बात और कोई नहीं हो सकती है।
उत्तराखंड की स्थिति आज किसी से छुपी नहीं है। यहां के गांव-खेत-खलिहान-सड़के और जीवन स्तर रो-रो कर कह रहा हैं कि मुझे संभालों कोई तो मुझे संवारों मेरे बचपन को बचाओं उसे तुम्हारे साथ एक लंबी यात्रा करनी है। ऐसी स्थिति मैं भी कांग्रेस को खुद की राहत बहुत बड़ी लग रही है। जिसके चलते वह यह भी भुल गयी हैं कि आज उत्तराखंड की जनता को इन पैसों से ज्यादा उनके साथ खड़े होने वालों की,उन्हें सहारा देने वालों की और उनके आंसू कुछ हद तक पोछने वालों की जरूरत है। लेकिन कांग्रेस के नेतागणों को इस सब से भला क्या करना। उन्हें तो उत्तराखंड के लोगों के उज़डे घरों और अपनों से बिछुड़ चुके लोगों की चिताओं की आंच में रोटी सेकने के शिवाया आज कुछ सुज़ ही नहीं रहा है। यदि ऐसा नहीं होता तो,शायद कांग्रेस के केंद्रीय स्तर और राज्य स्तर के बड़े नेता इस समय पांच सौ करोड़ रूपये पर राजनिति करने की बजाया राज्य सरकार के साथ खड़े होकर प्रभावित लोगों की मदद करने आगे बढ़ रहे होते।
उत्तराखंड की विकास यात्रा पहीया आज पूरी दुनिया के सामने है। इसकी रफ्तार आज कितनी है। यह भी दुनिया देख रही है। शायद केंद्र को भी यह साफ दिखायी दे रहा होगा। उत्तराखंड में बारिश से पैदा हुए हालात दी वजह से खाद्यान का भारी संकट पैदा हो गया था। लेकिन डॉ.निशंक के नेतृत्व में सरकार ने पर्वतीय इलाकों में वायुसेना और हैलीकॉप्टर के जरिए जिला मुख्यालयों तक राशन पहुंचाने की व्यवस्था की गयी। राशन-ईंधन देहरादून से पर्वतीय क्षेत्र तक लगातार पहुंचायी जा रही है। इसी के साथ दवाईयां-दूध और रोजमरा की आवश्यक सामग्री भी प्रदेश सरकार के माध्मय से हर दिन उन क्षेत्रों में पहूंचायी जा रही है। जिनमें अभी भी इस आपदा से प्रभावित लोग फंसे है। राज्य के मुख्यमंत्री खुद अपने स्तर से हर प्रभावित क्षेत्र को देख रहे है। क्या ऐसे समय में विपक्षी पार्टी कांग्रसे का राज्य की जनता के प्रति कोई फर्ज नहीं बनता था कि वह पांच सौ करोड़ की राजैतिक रोटियां सैकनी की बजाया राज्य सरकार के साथ खड़े होकर राज्य की जनता की मदद करें। लेकिन उसके पास इसके लिए शायद सयम नहीं है। उसके पास तो मीडिया का ज़मवाड़ा कर इस बात का बखान करने का समय है कि हमने राज्य को इस आपदा के समय में केंद्र से पांच सौ रूपये का राहत पैकेज दिलाया। इस लिए जनता को उनकी तरफ देखना चाहिए। लेकिन कांग्रेस पार्टी के इन नेताओं को यह नहीं भूलना चाहिए कि प्रदेश की जनता इतनी भी मूर्ख नहीं हैं कि वह सिर्फ पांच सौ करोड़ो के बहकावें में आ जाएगी। आज उत्तराखंड का आम जनमानस यह अच्छी तरह समझ चुका हैं कि उसका हसली हितैषी कौन है,इसी आपदा के समय में उसके साथ कौन खड़ा है। कौन उनकी सुख-सुविधाओं का ध्यान रख रहा है। मैं खुद इस आपदा के समय में प्रदेश के कई जिलों का दौरा किया। यह जाकर रिर्पाटिंग की घर-घर जाकर लोगों की हालात का जायजा लिया। मुझे भी एक भी गांव या घर में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं मिला जिसने केंद्र सरकार के एक भी नुमायीदें के बारे में बात करनी चाही हो। लोगों का यहां तक कहना हैं कि जो कांग्रेस अपना हाथ आम आदमी के साथ होने की बात करती है,वह हाथ आज आम आदमी के गिरेबान तक पहुंच गया हैं,जो आम आदमी को सिर्फ और सिर्फ आंसू देना जानता है।
यहीं नहीं प्रदेश की आम जनता में यह सुगबुहाट आज हर जगह सुनायी देने लगी है कि राज्य की निशंक सरकार के कार्यकल्पों पर जिस तरह से राज्य की विपक्षी पार्टी और केंद्र सरकार कटाक्ष कर रही है। इसका जबाब राज्य की जनता निश्चित तौर पर 2012 में देगी और कांग्रेस को समझ आ जाएगा की उसकी ज़मीनी हकीकत आख़िर क्या थी।
- जगमोहन ‘आज़ाद’
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