ना जाने कब तलक ....................
खड़ी रही थी ख्यालों मे ,
तुम्हारे बाहुपाश मे जकड़ी हुई ,
ना जाने कब तलक ,
अपने सूखे होंट लिए ,
जिनकी नमी थी ,अभी-अभी तुमने चुराई ,ख्यालों मे ,
ना जाने कब तलक ,
सिराहन सी दौड़ गई थी ,
नस-नस में और जड़ बनी रही मे ,
ख्यालों मे ,
ना जाने कब तलक।
संगीता मोदी "शमा"
16.10.10
na jane kab talak
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1 comment:
anubhootiyon kee abhivyakti bahut hi sunder hai .
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