राहुल से न्याय की उम्मीद है लोगों को
सिवनी। आपके आश्वस्त करने से सब तरफ से निराश होचुके लोगों के मन में फोर लेन मामले में न्याय मिलने की आशा जा गई है। सुप्रीम कोर्ट में अगली सनुवायी 17 जनवरी 2011 को होने वाली हैं। अत: आप शीघ्र ही उचित कार्यवाही करने का कष्ट करें।
उक्ताशय केी बात इंका नेता आशुतोष वर्मा ने राहुल गांधी को भेजे एक ई मेल में कही हैं। इसके साथ ही कुछ आवश्यक दस्तावेज भी भेजे हैं। इंका नेता ने अपने पत्र में लिखा हें कि आपने अपने मध्यप्रदेश के सिवनी जिले के प्रवास के दौरान जिले से गुजरने वाले फोर लेन मामले में लोगों को आश्वस्त किया था कि आप इस मामले को देखेंगें। इससे सब तरफ से निराश हो चुके लोगों के मन में न्याय मिलने की एक आशा केी किरण जाग गई हैं।
अपने पत्र में इंका नेता आशुतोष ने आगे लिखा हैं कि आपको मैंने स्वयं भी इससे सम्बंधित सभी दस्तावेज भी सिवनी हेलीपेड पर आपके अवलोकनार्थ दिये थे। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं कि प्रधानमन्त्री स्विर्णम चतुZभुज योजना के तहत श्रीनगर से कन्याकुमारी तक जाने वाला नार्थ साउथ गलियारा सिवनी जिले से होकर गुजर रहा हैं। जिले में लगभग 105.58 कि.मी. सड़क बनना हैं जिसमे से लगभग 86 कि.मी. सड़क बन चुकी हैं। वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिये जाने के कारण मामला लंबित हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं जिसका क्रमांक 202/95 के आई.ए. क्र.1124/09 हैं। एन.एच.ए.आई. ने अपने जवाब में प्रथम आप्शन के रूप में एलीवेटेड हाइ वे का प्रस्ताव किया था जिस पर अब वह स्वयं 900 करोड़ रूपये की राशि लगने के कारण सहमत नही हैं जबकि वन विभाग इस विकल्प के लिये सहमत हैं। इस कारण कोर्ट में आम राय नहीं बन पा रही हैं। जिससे निर्णय लंबित हैं।
इंका नेता आशुतोष वर्मा ने आगे उल्लेख किया हैं कि इस विलंब के कारण केन्द्र सरकार को निर्माण करने वाले ठेकेदार को करोड़ों रुपयों की क्षति पूर्ति देनी होगी जिसके विस्तृत विवरण एवं गणना के अनुसार जिले में कार्यरत रोड़ बनाने वाली दोनों कंपनियो को कुल 105.58 कि.मी. रोड़ बनाना था जिसमें से वे निघाZरित समयावधि के पहले ही लगभग 63 कि.मी. रोड़ बना चुके हैं और शासन द्वारा बाधा मुक्त भूमि ना मिलने के कारण 38.5 कि. मी. रोड़ का निर्माण नहीं कर पा रहें हैं। इसके कारण दोनो ही कंपनियां टोल टैक्स की वसूली भी प्रारंभ नहीं कर पा रहीं हैं। इस आधार पर यदि दोनों कंपनियां पूरे 105.58 कि. मी. पर हर्जाने की मांग करती हैं तो इस भूमि का कुल क्षेत्रफल 633.58 हेक्टेयर होता हें जिस पर 6 हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से हर्जाने की राशि 38 लाख 8 सौ 80 रु. प्रतिदिन होती हैं। इस हिसाब से 31 दिसम्बर 2010 तक की राशि 320 करोड़ 74 लाख 77 हजार 8 सौ रु. होती हैं जो केन्द्र शासन को देय होगी।
इंका नेता वर्मा ने अपने पत्र के अन्त में राहुल गांधी से अनुरोध किया हें कि वे शीष्र ही समुचित कार्यवाही कर जिले के लोगो को न्याय दिनाने का कष्ट रकें।
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