पहली बार इतना बड़ा घोटाला, पहली बार अदालत में पीएम ने दिया जवाब, पहली बार संसद का एक पूरा सत्र नहीं चला और शायद पहली बार पीएसी और जेपीसी को लेकर इतना हंगामा हो रहा है.... विपक्ष और सरकार की इतनी ज़्यादा टक्कर हो रही है.... यही देन है 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की... जो देश के इतिहास में नए-नए रिकॉर्ड बना रहा है...
इससे पहले शायद ही देश की जनता ने पीएसी और जेपीसी का इतना नाम सुना था... लेकिन अब तो हर किसी को ख़बर होने लगी है कि संसद में इस तरह की भी कमेटियां होती हैं... और वे इतना अहमियत रखती हैं कि सरकार और विपक्ष की टकराहट संसद के सत्र को नहीं चलने देती...
विपक्ष जेपीसी पर अड़ा है और सरकार पीएसी से आगे जाने को तैयार नहीं... पीएसी का औचित्य साबित करने के लिए पीएम को यहां तक कहना पड़ा कि वे पीएसी के सामने पेशी को तैयार हैं... लेकिन असलियत ये है कि संसदीय नियमों के तहत ये संभव नहीं कि पीएसी किसी भी मंत्री को अपने सामने पेश होने को कहे...
लोक सभा अध्यक्ष के निर्देश संख्या 99 के तहत “एक मंत्री को कमेटी के सामने नहीं बुलाया जा सकता, चाहे वो सबूतों के संदर्भ में हो या सुझाव के संदर्भ में या पब्लिक अकाउंट्स कमेटी या पब्लिक अंडरटेकिंग कमेटी”
कहने का मतलब 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर पीएसी के अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी चाहकर भी पीएम को अपने सामने बुला नहीं सकते... इसके लिए लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार की अनुमति लेना ज़रुरी हो जाता है... लेकिन अगर जोशी जी ऐसा करते हैं और पीएम की पेशी के न्यौते को स्वीकार कर लेते हैं तो ये बीजेपी की हार होगी और जेपीसी की मांग अपने आप ख़त्म हो जाएगी... लिहाज़ा एनडीए ने अपनी पहली रैली में ही पीएम की पीएसी के सामने पेशी के न्यौते को ठुकरा दिया और जेपीसी के सामने पेशी का न्यौता दे दिया...
ज़ाहिर है बीजेपी कांग्रेस के शिगूफे को समझती है... उसे पता है कि पीएम ने पीएसी के सामने पेशी का जो शिगूफा फेंका है... उसकी मंज़ूरी संसदीय नियम ही नहीं देते... और अगर स्पीकर के माध्यम से ऐसा हो भी जाता है तो एनडीए को जेपीसी की मांग छोड़नी पड़ेगी... और जेपीसी की मांग छोड़ने का मतलब है एनडीए पर संसद का शीतकालीन सत्र न चलने देने का आरोप... और कांग्रेस इस मौके को किसी भी हाल में नहीं छोड़ती... लेकिन सियासत के इस खेल में अभी ठहराव नहीं आनेवाला और अगले बजट सत्र तक दोनों पार्टियों के बीच में टकराव जारी रहने की आशंका है...
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