भदोही/उत्तरप्रदेश : जिला पंचायत अध्यक्ष पद की कुर्सी हथियाने के बाद बसपा ने जनपद की सभी छह क्षेत्र पंचायतों से भी सपा का सुपड़ा साफ कर दिया है है। बसपा की चली बयार में सपा साफ हो गयी है। सपा ने अपने सबसे मजबूत किले डीघ सहित ज्ञानपुर व भदोही को गंवा दिया है। इन तीनों किले के ढहने से सपा को करारा झटका लगने के साथ ही सपा के विजय {ज्ञानपुर विधायक विजय मिश्रा} के विजय अभियान को बसपा के दो नाथ ने खत्म कर दिया है। यह दीगर बात है की चुनाव के दौरान फरार चल रहे ढाई लाख के इनामिया सपा विधायक विजय मिश्रा चर्चा में छाये रहे. बताते चलें जनपद में दो दशक से सपा की सियासत की खास हिस्सा पंचायतें ही बनी हुई थी। इन्हीं पंचायतों के दम पर सपा दंभ व हुंकार भरती रही। नब्बे के दशक से अब तक पंचायतों पर सपा के एकक्षत्र राज का सबसे कारण ज्ञानपुर के बाहुबली सपा विधायक विजय मिश्र थे। उनके नेतृत्व में सपा ने जिले की सबसे निचली पंचायतों (ग्रामसभा) से लेकर ऊपरी पंचायत (जिला पंचायत) तक पर एकक्षत्र साम्राज्य स्थापित कर लिया था। सपा के पंचायत मिथक के इस लंबे सफर को इस चुनाव में बसपा ने खत्म कर डाला है तो इसकी खास वजह बने हैं बसपा के दो नाथ। एक सूबे के माध्यमिक शिक्षा मंत्री रंगनाथ मिश्र तथा दूसरे सांसद गोरखनाथ पांडेय। पहले जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बसपा की अप्रत्याशित जीत दर्ज करा के सनसनी फैलाने वाले यह दोनों नाथ एक बार फिर क्षेत्र पंचायत प्रमुख चुनाव में कमाल कर गये। इस चुनाव में दांव पर लगी अपनी प्रतिष्ठा बचाने के साथ ही सपा के सबसे खास गढ़ डीघ व औराई में निर्विरोध जीत के साथ ही ज्ञानपुर, भदोही व सुरियावां में भी बसपा का नीला झंडा फहरा कर समूचे जिले को नीलामय कर दिया। यही नहीं अभोली में बसपा से टिकट न मिलने पर बागी प्रत्याशी की जीत के बाद यह बयान बसपा से बाहर नहीं हूं ने बसपा के जीत के जश्न को दूना कर दिया है। ..अब जबकि पंचायत चुनाव का आखिरी दौर भी खत्म हो चुका है, ऐसे में यह बात भी स्पष्ट रूप से सामने आ चुकी है कि सपा का पंचायत अध्याय अब खत्म हो गया है और पंचायतों में बसपा ऐतिहासिक जीत हासिल कर बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। यह सफलता मिशन 2012 के विधान सभा चुनाव में बसपा को मजबूती देने में सहायक साबित होगा इसमें तनिक भी संदेह नहीं है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2005 के जिला पंचायत चुनाव में सर्वाधिक 19 सदस्य सपा के चुने गये थे। इसी तरह सभी क्षेत्र पंचायतों में भी उसका कब्जा था। यही नहीं जिले की तत्कालीन कुल 489 ग्राम पंचायतों में करीब 376 में सपा से जुड़े लोग ग्राम प्रधान तथा 567 क्षेत्र पंचायतों में 400 से अधिक क्षेत्र पंचायत सदस्य थे।जबकि इस बार पूरा परिद्रिस्य ही बदला नजर आ रहा है. पंचायत चुनाव की अधिकतर सीटो पर बसपा ने ही परचम लहराया है.हालाँकि पंचायत चुनाव में धांधली के भी आरोप लगाये जा रहे हैं. चर्चा है की सत्ता के साथ ही धनबल और बाहुबल का भी जमकर दुरुप्रयोग किया गया है.
22.12.10
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