भई वाह 21 दिसंबर को भिलाई नगर निगम के चुनाव होने को हैं और बरखा रानी अपने पूरे शबाब पर आ गई हैं । अकेले आती तो कोई बात नही थी लेकिन साथ में कडकडाती ठंड भी ले आई हैं जिसका नतीजा है प्रत्याशी तो गर्म जोश से भरे हुए हैं लेकिन कार्य़कर्ता ठंड की आड में घरों में घुसे हुए हैं । हर निर्दलीय प्रत्याशी अपना चुनाव चिन्ह छाता लेने के लिये उतावला हो रहा है ताकि छाते के बहाने बरसते पानी में भी उसका प्रचार होता रहे । स्कूली बच्चों के रैनकोट बाहर आ गए हैं, दुकानदारों के लिये ग्राहक दूर हो गये हैं नेताओ को कार्यकर्था नही मिल रहे हैं जो मिल रहे हैं उनके लिये पहले दारू शारू का इंतजाम करना पड रहा है । केवल भिलाई में ही ऐसा नही है बीरगांव का भी यही हाल चल रहा है ।
सडकों पर पानी भर गया है (ये सरकुलर मार्केट की मुख्य सडक है भाई) नेताओं की काली करनी उजागर हो रही है मगर जनता को कोई फर्क नही पडने वाला आखिर उसका क्या जा रहा है जो जा रहा है राज्य का पैसा जो जा रहा है । है नां !
चुनावी बयार में बरखा की फुहारें एक अलग नजारा भी बना रही हैं . अभी निर्दलीयों को उनके चुनावी चिन्ह नही बंटे हैं इसलिये अभी माहौल भी ठंडा है । यदा कदा वार्ड में प्रत्याशी अकेले ही लोगों के घरों में जाकर अपने पक्ष में माहौल बना रहे हैं जिसका फायदा ये हो रहा है कि लोगों के घरों में अभी मेहमानों की आवाजाही भी तकरीबन बंद होने से वोटर भी अपने प्रत्याशी को अच्छे से समझ रहे हैं ।
बीरगांव (रायपुर) का हाल तो और भी बुरा है वहां के निवासी भाजपा से अपने को इतने ज्यादा त्रस्त मान रहे हैं कि शायद वहां पर कमल सडकों पर बने किचड में दब जाएगा क्योंकि जनता हाथ के सहारे अपनी सडक और बिजली की बदहाली को सुधारने की आस लगा रही है । बीरगांव के रहवासी अपनी बीमारी की जड कमल को मान रहे हैं और उसे दूर करना चाहते हैं जबकि बीमारी का इलाज डाक्टर साहेब को कमल के डुब मरने पर ही समझ आएगा । खैर एक संतोष की बात ये है कि कांग्रेस की बागी भिलाई में भाजपा का बेडा पार लगाने को तैय्यार है और भाजपा के बागी पार्षद चुनाव में अपने को मजबूत दिखाने के लिये भाजपा को मटियामेट करने पर तुले हुए हैं यानि महापौर भाजपा की औऱ ज्यादा पार्षद कांग्रेस के .... बनाम जनता की मुसीबतें और भी ज्यादा बढने वाली है ।
9.12.10
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