Laughter | Best Medicine |
गुप्ता जी अपनी कंजूसी के लिए प्रसिद्द हैं। गुप्ता जी (मृत्युशैया पर) : कहां हो, भाग्यवान...? पत्नी (तपाक से) : यहीं हूं, प्राणनाथ... गुप्ता जी : मेरे बेटे-बहुएं भी मेरे पास ही हैं क्या...? बेटे-बहुएं (समवेत स्वर में) : जी पिताजी, हम सब आपके पास ही हैं... गुप्ता जी (गुस्से में) : फिर बगल वाले कमरे का पंखा क्यों चला छोड़ रखा है, बेवकूफों...? |
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2 comments:
ha ha ha ha maza aa gaya bahut achchhe...
mere blog kaushal par bhi aapka hardik swagat hai...
majedaar hai.....
क्या स्वप्न भी सच्चे होतें है ?...भाग-५.,यह महानायक अमिताभ बच्चन के जुबानी.
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