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4.1.11

क्या हुआ तेरा वादा मनमोहन-ब्रज की दुनिया

आज अभी-अभी लौटा हूँ वहां से जहाँ जाकर आदमी का दिमाग परम शांति की अवस्था में पहुँच जाता है.मेरा मतलब है कि मैं शौचालय से आ रहा हूँ.वहीँ विश्रांति अवस्था में बैठे-बैठे मेरे दिमाग में एक आइडिया ने जन्म लिया.रफ़ी साहब का गाया प्रसिद्ध गीत क्या हुआ तेरा वादा का कैसेट दिमाग में बजने लगा और एक कविता की रचना-प्रक्रिया आरंभ हो गई.जहाँ १९७७ में हम किसी से कम नहीं फिल्म में यह गाना ऋषि कपूर ने काजल किरण के लिए गाया था मैंने इसे भारत के कथित प्रधानमंत्री और भ्रष्टाचारियों के दल के कथित ईमानदार सरदार सरदार मनमोहन सिंह के लिए लिखा है.भाषा सरल है,शब्द आसान हैं.इसलिए उम्मीद करता हूँ कि आपको न तो इस गीत को समझने में ही परेशानी होगी और न ही गुनगुनाने में दिक्कत.मूल गीत जिसे मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखा था इस प्रकार है-
क्या हुआ तेरा वादा
वो कसम वो इरादा;
भूलेगा दिल जिस दिन तुम्हें
वो दिन जिंदगी का आखिरी दिन होगा
क्या हुआ तेरा वादा
याद है तुझको,तूने कहा था
तुमसे नहीं रूठेंगे कभी
दिल की तरह से हाथ मिले हैं
कैसे भला छूटेंगे कभी
तेरी बाहों में बीती हर शाम
बेवफा ये भी क्या याद नहीं
क्या हुआ..
ओ कहने वाले मुझको फरेबी
कौन फरेबी है ये बता
ओ जिसने गम लिया प्यार की खातिर
या जिस ने प्यार को बेच दिया
नशा दौलत का ऐसा भी क्या
के तुझे कुछ भी याद नहीं
क्या हुआ...
मेरे द्वारा इसके तर्ज पर रचित गीत कुछ इस प्रकार है-
क्या हुआ तेरा वादा
वो कसम वो इरादा
भूल गए तुम तुमने कहा था
कि दिसंबर तक महंगाई हो जाएगी कम
क्या हुआ...
याद है तुझको तुमने कहा था
कि सीडब्ल्यूजी के दोषियों को दिलवाओगे सजा
मजे में फ़िर क्यों है घोटालेबाज कलमाड़ी
सीबीआई है क्यों लाचार
अगले चुनाव में हम मांगेंगे तुमसे इसका जवाब
क्या हुआ...
हम तो समझे थे यह कि
कम-से-कम तुम हो ईमानदार
चालीस चोरों के अली बाबा
हो तुम मेरे प्यारे सरदार
उम्मीदें हमारी टूटी क्यों जालिम
देश है क्यों अराजकता का शिकार
क्या हुआ...
आम आदमी को किया था रोटी का वादा
कहा था अब हर हाथ को मिलेगा काम
हर बच्चे को दोगे शिक्षा मुफ्त में
किसान को मिलेगा फसल का दाम
आम आदमी के नारे पे जीते थे तुम
बेवफा ये भी तुम्हें याद नहीं
क्या हुआ...
चीनी रानी पहुंची ३५ पर
९० की हो गई अरहर की दाल
प्याज रूलाए ५० पर जाकर
तेरे मंत्री उडाएं माल
फरेबी शर्म क्यों नहीं आती तुझे
चुल्लू भर पानी में डूब मरो
क्या हुआ तेरा वादा
वो कसम वो इरादा;
भूलेगा दिल जिस दिन तुम्हें
वो दिन जिंदगी का आखिरी दिन होगा
क्या हुआ तेरा वादा
तो कहिए कैसी लगी राम प्रभु द्वारा मुझसे करवाई गई यह संगीतमय शरारत?वर्तमान परिस्थितियों पर सटीक टिपण्णी है न यह गाना.

1 comment:

अजित गुप्ता का कोना said...

अजी इनसे क्‍या पूछते हो, पूछो तो माँ-बेटे से। ये बेचारे तो कठपुतली हैं।