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4.1.11

छिद्रान्वेषण ---डा श्याम गुप्त....

छिद्रान्वेषण " को प्रायः एक अवगुण की भांति देखा जाता है , इसे पर दोष खोजना भी कहा जाता है...(faultfinding). परन्तु यदि सभी कुछ ,सभी गुणावगुण भी ईश्वर - प्रकृति द्वारा कृत/ प्रदत्त हैं तो अवगुणों का, जो मूलतः मानवीयता के विरुद्ध नहीं हैं, कोई तो महत्त्व होता होगा मानवीय जीवन को उचित रूप से परिभाषित करने में ? जैसे-- कहना भी एक कला है, हम उनसे अधिक सीखते हैं जो हमारी हाँ में हाँ नहीं मिलाते , 'निंदक नियरे राखिये....' नकारात्मक भावों से ..... आदि आदि ... मेरे विचार से यदि हम वस्तुओं/ विचारों/उद्घोषणाओं आदि का छिद्रान्वेषण के व्याख्यातत्व द्वारा उन के अन्दर निहित उत्तम हानिकारक मूल तत्वों का उदघाटन नहीं करते तो उत्तरोत्तर, उपरिगामी प्रगति के पथ प्रशस्त नहीं करते आलोचनाओं / समीक्षाओं के मूल में भी यही भाव होता है जो छिद्रान्वेषण से कुछ कम धार वाली शब्द शक्तियां हैं। प्रस्तुत है आज का छिद्रान्वेषण ----
छिद्रान्वेषण एक
---आगरा महानगर से एक समाचार है कि वहां नगर निगम ने नये वर्ष की पहली जनवरी से पोलीथीन के प्रयोग पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया है, पोलीथीन प्रयोग करते पाये जाने पर दन्ड का विधान है। दुकानदारों ग्राहकों/उपभोक्ताओं ने कागज़ के लिफ़ाफ़े , थेले आदि प्रयोग करना प्रारम्भ कर दिया है दुकानदारों ने अपनी दुकानों पर सूचक-पट्ट(केप्शन) लगा दिये है कि ग्राहक अपने साथ कपडे आदि के थेले लेकर आयें और वर्ष के प्रथम दिवस काफ़ी राजस्व
भी दन्ड स्वरूपबसूल हुआ।
----यद्यपि हमने स्वयं जाकर नहीं देखा है कि किस स्थिति तक यह सफ़ल है और कहां तक ; किन्तु क्या अन्य राज्य या केन्द्रीय सरकार द्वारा इस प्रकार के कदम नहीं उठाये जाने चाहिये , क्या यह एक सार्थक पहल नहीं है तथा इसे कडाई से पालन नहीं करना चाहिये ...सभी मतभेद आदि भुलाकर...
छिद्रान्वेषण दो--बेन्ग्लूरसे सचित्र समाचार है कि में राज्य हस्त करघा विकास निगम द्वारा आयोजित शिल्प प्रदर्शनी में हस्त-शिल्प उत्पादों के साथ अभिनेत्री रूपाश्री का चित्र-----
----क्यो भई, क्यों...वहां एक अभिनेत्री क्या कर रही है, और क्यों?.....क्या उसके स्थान पर वहां , उस कलाकार का चित्र नहीं हो्ना चाहिये जिसने ये कलाक्रितियां बनाई हैं

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