छिद्रान्वेषण ---- अब बताइये दिन रात संस्कृति , भारतीयता, सदाचरण की बात करने वाले समाचार पत्रों ---राजस्थान पत्रिका व अन्य सभी हिन्दी अंग्रेज़ी पत्र-पत्रिकाएं ---..का यह चारित्रिक दोहरापन, कथनी करनी में फर्क --नहीं है तो क्या है....कि वे मस्ती भरी बातें, रात रात भर बातें करें आदि, काल गर्ल्स आदि के फोन न. आदि का विज्ञापन करें ....आखिर क्यों..??????
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8.1.11
छिद्रान्वेषण...डा श्याम गुप्त.....
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3 comments:
कारण है बाजारवाद। निजी लोगों व्दारा निकाले जाने वाले अखबारों की बात आपने की, अब इस दोहरे चरित्र में तो सरकारी कंपनी भी लग गई है। अमूमन हर दिन सरकारी मोबाइल कंपनी बीएसएनएल के उपभोक्ताओं को एसएमएस आ रहे हैं कि लडकियां आपसे चैटिंग करना चाहती हैं, यदि अपनी रातों को रंगीन बनाना है तो अभी काल करें, काल चार्जेस .... ! अब इसे क्या कहें, आपने कम शब्दों में गंभीर मुददा उठा दिया है, बधाई हो आपको।
सब पैसे का खेल है। एक तरह से देखा जाए तो वो भी उनकी मजबूरी हो सकती है अख़बार चलाने के लिए भी तो पैसे लगते हैं और परोपकार का जमाना भी नहीं रहा अब तो। बिना मतलब के तो लोग मंदिर में भी दान नहीं करते।
धन्यवाद अतुल,,अच्छा अन्दाज़ेवयां है...एक कंकड तो फ़ैंको ..कितनी लहरें उठती हैं....
---धन्यवाद , धीरज़...सही कहा,जो मज़बूर होजाये व मज़दूर है बस नट-बोल्ट...उससे नवीनता, सत्य की खोज,इन्नोवेशन व प्रगति की आशा क्या...
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