बेरहम [ Unpity ]
" दया धर्म का मूल है "
इसलिए हम नास्तिक अधार्मिकों को दया नहीं करनी चाहिए ,
बेरहम होना चाहिए | जानवरों या मनुष्यों के प्रति नहीं
विचारों , सिद्धांतों ,उसूलों , परम्पराओं , संस्कारों और
अंधविश्वासों के प्रति | अपनी लालच , अपने अहंकार ,अपनी महत्वाकांक्षाओं के प्रति |
- भारतीय मनीषा [ Indian wisdom ]
समय सहचर --
ज़िम्मेदारी
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी भूल स्वीकार की और ज़िम्मेदारी ली , कि
इमरजेंसी के दौरान मानवाधिकारों का हनन हुआ था और उस
समय का उसका निर्णय गलत था | ज़ाहिर है ये वे न्यायाधीश नहीं
हैं जिन्होंने वह निर्णय दिया था , फिर भी एक संस्था के तौर पर अपने
तत्कालीन जजों के निर्णय की गलती मानी | ऐसा ही सरकारों को भी
करना चाहिए तभी उनकी विश्वसनीयता और ताक़त बढ़ेगी | अभी
तो हर नई सरकार पुरानी सरकार की बखिया ही उधेड़ती है | किसी भी
सत्तासीन सरकार को पिछली हर सरकारों की भली – बुरी सब स्वीकार
करनी चाहिए , अपने सर पर उसका ज़िम्मा लेना चाहिए | e.g .
परमाणु परीक्षण हमने किया , बाबरी - गुजरात की असफलता हमारी
असफलता थी , etc|
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नागरिक उवाच
* १ - डिमोक्रेसी को यदि आप अच्छा समझते हैं , तो आप तो जानते ही हैं
कि वह हमारा धर्म ही है | किन्तु यदि लोकतंत्र को आप बुरा समझते
हैं तो इसे हम नास्तिकों की नालायकियत समझ लीजिये और क्या !
* २ - " बड़ा उनको कहिये जो बड़ा कहे जाने पर फूल कर कुप्पा न होते हों | "
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