Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

8.7.11

कुटिल सब्बल बाबू बिल नही है ये हमारा दिल है देखो देखो----- टूटे ना

नुक्कड़ पर आते ही भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी ने घोषणा कर दी मानसून सत्र मे बिल पेश हो  जायेगा । हमने कही भाई कांग्रेसी वो जमाना गया कि एक बहन को दिखा दूसरी से शादी कर देते थे आज कल लड़का लड़की एक दूसरे से मिलते जुलते है देखते समझते है तब शादी होती है । लड़की याने लोकपाल बिल दिखाओ फ़िर हम मानेंगे । शर्मा जी कुछ कहते की इससे पहले दीपक भाजपाई कूद पड़े कहने लगे हम भी तो यही कह रहे है ये दिखाते कहां है । हमने उनको फ़टकार लगाई हे देश की आखिरी उम्मीद पहले नारा लगाओ "सौगंध राम की खाते हैं बिल वही लायेंगे " और ये नारा लगाने से पहले सोच लेना फ़िर हम क्या खायेंगे नरेन्द्र मोदी जैसे जीवन कैसे बितायेंगे

इतने मे शर्मा जी ने घोषणा कर दी अन्ना का लोकपाल देश के लिये खतरा है । पूरा नुक्कड़ चौक गया किसी ने पूछा वो कैसे भाई क्या उसमे आतंकवादियो को छोड़ने का प्रावधान है या देश की सेना को भंग करने की बात है । शर्मा जी ने कहा भाई यही सब बताने आज मै कुटिल बाबू को साथ लाया हूं । तभी आसिफ़ भाई बोल उठे सही जा रहे हो शर्मा जी चोरो को अच्छा वकील करना ही चाहिये इनके जैसा ।

पूरा पढ़ने के लिये   http://aruneshdave.blogspot.com/2011/07/blog-post_06.html

1 comment:

रविकर said...

उन दरख्तों के बगल में खून के छींटे दिखे |

तख्तियों पर कातिलों के नाम यूँ पाए लिखे ||


गुरुमुखी में था लिखा "भलभेचना" पढ़कर लगा |

पहचानता मकतूल होगा, था कोई उसका सगा ||


पास काले कोट सा गाउन पड़ा था घास पर |

खून-कीचड़ में सना था, "सिलवटें-बल" तर-बतर ||


गोल त्रिभुज और डब्ल्यू सी दिखी इक वर्ण-माला |

भारी तबाही थी मचाई, जुड़ गया अध्याय काला ||



जो उधर जिन्दा बचे, उनका यही पैगाम है --

संघर्ष का आगाज होवे, राष्ट्र-हित अंजाम है ||