नुक्कड़ पर रोज की तरह दीपक भाजपाई और सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी एक दूसरे की टांग खीचने मे लगे थे । दीपक बाबू सिस्टम और नीति मे चूक और गलती बता रहे थे वहीं शर्मा जी का कहना था कि भाई इतने दिन धमाके न हुये इसकी खुशी मनाना छोड़ तुम लोग हम लोगो पर चिल्ला रहे हो । हमारा नाम तो गिनीज बुक मे आना चाहिये चुस्त दुरूस्त व्यवस्था के लिये । नुक्कड़ की असहाय आम जनता दुख और शोक मे डूबी हुई थी क्रोध भी था कोई मोमबत्ती जला रहा रहा था कोई आस्तीने चढ़ा रहा था |
इस माहौल मे हमारा जुलूस सामने से निकला नारे लग रहे थे निकम्मा कामचोर अफ़जल गुरू हाय हाय । इसे देख दीपक भाजपाई खुशी से उछल पड़े बोले दवे जी कसाब का नाम भी लेते तो मामला और जम जाता । हमने कहा भाई ये हमारा जुलूस है अलग एजेंडे का आपका इसमे रोल नही है । शर्मा कांग्रेसी ने मुंह बनाया क्यो बनते हो भाई मीडिया हो या भाजपा कुछ कहने को न हो तो कसाब और अफ़जल गुरू का नाम ले लेते हैं । हमने कही भाई तुम दोनो बात समझ ही नही रहे हो नारे पर ध्यान दो हम शिकायत कर रहें हैं अफ़जल गुरू से और उसे कोस रहे हैं उसकी नाकामी पर । और शर्मा कांग्रेसी आपसे तो अब उम्मीद ही नही है । वो तो आदत पड़ गयी है तो आप को कोस लेते हैं ।
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17.7.11
निकम्मा कामचोर अफ़जल गुरू हाय हाय
Labels: अफ़जल गुरू, अरूणेश सी दवे, आतंकवाद
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