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6.7.11

यादें


मेरे मौन ने,
कई बार चीख कर कहा था?
मुझे भी ले चलो,
साथ अपने ,
जैसे हवा ले जाती है,
खुशबू फूलों की?
नदी ले जाती है,
मिट्टी किनारे की?
धरती चुन लेती है,
आकाश से बरसती बूंदे?
किसके भरोसे सौंप दी तुमने,
अपनी तमाम यादें?
जब तुम नहीं हो सकती थीं,
हवा, नदी और धरती?
क्यूं मुझको अहसास दिया तुमने,
खुशबू, मिट्टी और बूंदों का?

रविकुमार सिंह

1 comment:

Shalini kaushik said...

क्यूं मुझको अहसास दिया तुमने,
खुशबू, मिट्टी और बूंदों का?
hriday ko chhooti prastuti.badhai.