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1.7.11

निज़ाम पर कब्ज़ा

* निज़ाम चलाया कैसे जाय , यह किसी का मुद्दा है ही नहीं | सबकी हवस है कि निज़ाम पर कब्ज़ा किसका हो ? उसे हथियाया कैसे जाय ? #


* Govt. is nothing. Govt. means I. Govt. means we, the people . #   
  
* It  is  the quality of the Public which decides the quality of it's Leadership . # 


* I find, ordinariliness,simplicity is God . He could make our body and mind so typical and finely grained , because He did it very simply, rather in a playful manner . And Lo, God too ,is very simple to be known , if we could be so simple in our vision . #

* फ़िदा होने में 
कहाँ देर लगेगी 
तुम दिखो तो !

* पत्रकारिता
टिटहरी की टाँग
थामे आकाश !

* कुछ किया तो 
संतोष तो हुआ ही 
की कुछ किया ! #


* जो भी मोबाईल 
   चलाने लगो 
   वही  , फिर 
   रास आने लगता है | #

* नाई हैं, मिल जाते हैं , तो हम भी दाढ़ी - बाल बनवा लेते हैं , वरना क्या करते ? वैसे ही रहते | #

* हम यह समझते हैं कि , चूँकि हाथ साफ़ करने के और उसे कीटाणुमुक्त बनाने के तमाम साधन उपलब्ध हैं , इसलिए किसी भी प्रकार की गंदगी को साफ़ करने के लिए अपना हाथ निर्भय होकर डाला जा सकता है | #

* अब अंग्रेज़ी बोलना कोई विशिष्टता का परिचायक नहीं रह गया है | #

* सुहागरात हो , प्रलय की रात हो , क्या बात है !
   कुछ भी हो , तुम्हारा साथ हो ,क्या बात है !  --

* क्या ज़रूरी है कि हर एक मैं कविता  भली करूँ  ,
   बुरा है वक्त तो कविता बुरी भी क्यों न करूँ ? ---

* मैं कहीं भी रहूँ , मेरी जगह है वाजिब ,
   तुम्हारी गोद में हूँ , या तुम्हारे पाँवों में | --

* तू मुझमे , मैं अपने में हूँ , 
   तू सच्चा मैं सपने में हूँ | ----

* कभी नरम , कभी गरम
   बेहया  कभी शरम
   दर्द से बेदर्द हम
खुशी कोई , न कोई ग़म | #

* - ऊपर नेकरल Substitute for Super Natural . #  

* आज ग्रोवर हत्याकाण्ड का फैसला आया | कितने तो झमेले औरतों को लेकर होते हैं ! आदमी मारते , मरते हैं ? ### 

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