धनंजय कहिन: चाँद दिखा: "चाँद दिखा और ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ी, मुक़द्दस रमजान का एलान हो गया.इससे मुझे क्या ,मैं न तो नमाज़ी हूँ न रोजेदार.पर भाई हम लोगों को इंतज़ार र..."
2.8.11
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अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
धनंजय कहिन: चाँद दिखा: "चाँद दिखा और ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ी, मुक़द्दस रमजान का एलान हो गया.इससे मुझे क्या ,मैं न तो नमाज़ी हूँ न रोजेदार.पर भाई हम लोगों को इंतज़ार र..."
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