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31.8.11

शिकायत

आज तुम्हारी यादें,
सिरहाने बैठकर,
रोई थी मेरे।
भींगे तकिये ने,
की है शिकायत,
मुझसे।
  • रविकुमार बाबुल

2 comments:

Unknown said...

kya baat hai

vikasgarg23.blogspot.com

Markand Dave said...

VERY NICE.