आज तुम्हारी यादें,
सिरहाने बैठकर,
रोई थी मेरे।
भींगे तकिये ने,
की है शिकायत,
मुझसे।
सिरहाने बैठकर,
रोई थी मेरे।
भींगे तकिये ने,
की है शिकायत,
मुझसे।
- रविकुमार बाबुल
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
2 comments:
kya baat hai
vikasgarg23.blogspot.com
VERY NICE.
Post a Comment