आखिर मिल गया न एक लालीपाप भारतीय जनमानस को १२ दिन के आमरण अनशन के बाद जनता को क्या मिला एक और लालीपाप , हमाम के सार नंगे देश के सामने नंगे होने से बच गये क्या कोई बतायगा जनता के नुमाईन्दे सिविल सुसाईटी वाले काग्रेस के इन मौकापरस्त नेताओं के साथ बन्द कमरे मे क्या डील कर आते हैं और जनता को पता नही चलता है कि जिन पर विश्वास किये वो फिर तो नही छ्ल कर रहे है क्योंकि नेता की कि केवल एक जात होती है और वो है धोखेबाज की मौका पड्ने पर वो अपने बाप को नही छोड्ते फिर भोली भाली जनता किस खेत की मूली है अब पता नही ये देश की जनता की आधी जीत है या सिविल सोसायटी की बाबा अण्णा हजारे की जान बचाने की एवज मे किया गया समझौता चलो कोई बात नही जनता की इज्जत बची न सही मगर अण्णा हजारे की जान तो बच गयी.......................
27.8.11
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