अन्ना हजारे एक ऐसा नाम, जो देश में ही नहीं विदेशों में भी गूंज उठा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ देश में क्रांती की चिंगारी जलाने वाले इस शख्स नें समूचे भारत को एक कर दिया है। सभी प्रांत, धर्म, समुदाय, जातिवर्ग के लोग आज हिन्दुस्तान में व्याप्त भ्रष्टाचार की लड़ाई के विरुद्ध खड़े हो गए है। दिल्ली के रामलीला मैदान में ही नहीं भारत के लगभग सभी हिस्सों में समर्थक एकजुट होकर सरकार से मजबूत लोकपाल विधेयक की मांग कर रहे है। जहां एक तरफ अन्ना समर्थक मजबूत कानून की बात कर रहे है, वहीं दूसरे ऐसे भी लोग अन्ना के आन्दोलनकारियों में घुस चुके है, जिसके कारण अन्ना का नाम मिट्टी में मिल रहा है। अन्ना आन्दोलन की आड़ में बीते कई दिनों से बिगड़ैल किस्म के शरारती लोग हाथ में तिरंगा लेकर, बिना हैलमेट के बाईक पर सवार होकर कानून की धज्जियां उड़ा है। एक मोटर साईकिल पर तीन से चार युवक अन्ना टोपी लगा कर, सड़कों पर दिन और रात में शराब के नशे में हुड़दंग मचा रहे है। हाथ में राष्ट्रध्वज, सिर पर अन्ना टोपी और मुंह से अन्ना हजारे जिन्दाबाद के नारे लगाते इन बिगडै़लों का पुलिस और प्रशासन चाह कर भी कुछ बिगाड़ पाने में असर्मथ है। ऐसा हाल दिल्ली में ही नहीं, नोएड़ा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुड़गांव समेत कई शहरों का हाल है।
दूसरी और, अन्ना समर्थकों के बीच शातिर जेबकतरे और उठाईगिरी करने वालों ने भी अपना गैंग बना लिया है। ये लोग भी हाथ में झण्डा लिए भारत माता की जयकारे लगा कर रामलीला में मैदान में अपना मकसद पूरा कर रहे है। दिल्ली पुलिस नें ऐसे ही एक व्यक्ति कमरुद्दीन को गिरफ्तार किया है, जो बीते तीन सालों से पटियाल हाउस कोर्ट से भगौड़ा घोषित है। कमरुद्दीन ने भी मैं अन्ना हूं कि टोपी लगा रखी थी। हाथ में देश का ध्वज लेकर अन्ना के समर्थन में इण्डिया गेट पर नारे बाजी कर रहा था। पुलिस नें उसकी संदिग्ध हरकतों को भांप कर, उसे गिरफ्तार कर लिया। ऐसे ना जाने कितने जेबकतरे मौके का जम कर फायदा हुठा रहे है। अन्ना का अनशन रामलीला मैदान में चल रहा है। अब तक यहां ७० से अधिक मोबाइल और ५० से अधिक पर्स चोरी हो चुके है। इस विषय में पीड़ीत लोगों ने खोया-पाया स्टॉल में इसकी जानकारी दी।
तीसरी ओर, ये तो सभी जानते है अन्ना शराब, बीड़ी, सिगरेट जैसी तमाम चीजों से सख्त नफरत करते है। लेकिन अन्ना समर्थकों में कई ऐसे भी लोग देखे गए है, जो मैदान से बाहर चोरी-छिपे अपनी तलब की प्यास मिटाते मिलते है। मंगलवार को अन्ना ने भी लोगों से अपील की थी कि शराब पीकर यहां आने से और झगड़ा करने से उनके आन्दोलन पर दाग लगेगा। इसके बावजूद लोगों पर अन्ना अपील का ज्यादा असर देखने को नहीं मिला।
चौथी ओर, अन्ना के आन्दोलन में ऐसे भी लोग दिखाई दिए जो केवल मौज मस्ती के लिए रामलीला मैदान पहुंच रहे है। मीडिया का हुजूम बड़ी-बड़ी शख्सियतों का वहां पहुंचना इसका बड़ा कारण है। इन लोगों को अन्ना हजारे की मुहिम के बारे में ठीक से पता तक नहीं है। इतना ही नहीं इन्हें जनलोकपाल बिल और लोकपाल बिल के भी जानकारी नहीं है। ये लोग रामलीला मैदान को पिकनीक स्पॉट समझ कर केवल टाईम पास करने पहुंच रहे है। इस आन्दोलन में अन्ना की आड़ में अपने मंसूबों को पूरा करते नापाक इरादों वाले इन लोगों के खिलाफ भी अन्ना टीम और प्रशासन को मिल कर कुछ ठोस कदम उठाने होंगे। क्योंकि इससे अन्ना का नाम बदनाम हो रहा है। ऐसे में पुलिस चाह कर भी कुछ कर पाने में विफल साबित हो रही है। क्योंकि पुलिस को डर है कि इन लोगों पर किसी भी तरह की कोई कार्यवाही पुलिस पर उल्टा प्रभाव ड़ाल सकती है।
सूरज सिंह सोलंकी।
25.8.11
अन्ना की आड़ में बिगडै़लों का खेल
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