आखिर क्या चाहती है संसद जनता उसकी चौखट पर नाक रगडती रहे पर वे मानेगे तभी जब उनका मन करेगा आखिर क्यों वे जनता के सेवक हैं ये जनता उनकी अण्णा जी ने सही कहा है "नाच दिखाय बन्दर और माल खाये मदारी" अण्णा जी कोई नया उपाय सोचिये इस भ्रश्ट लोक्तन्त्र में अन्शन से काम नही चलेगा ये कमीने नेता किसी और ही जबान में समझेगे ...........
27.8.11
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
संसद में बैठे सांसद क्या सचमुच भ्रस्टाचार मिटायेगें, क्यों कि इनको सबकुछ जो हराम में उपलब्ध हो गया जैसे रहने को घर, खाने को राशन, चलने को चार चक्के कि गाड़ी, दुसरे प्रान्त या शहर जाने के लिए हवाई जहाज या फस्ट क्लास ए. सी. ट्रेन जहाँ सबकुछ इनको मुफ्त में मिल रहा है तो ऐसे लोगों से क्या भ्रस्टाचार खतम हो जायेगा, लगता नहीं है, क्यों कि इन सभी कि सोंच एक ही है १२१ करोड़ जनता कि कमाई पर कुछ मुट्ठी भर राजनेता राज करते है ये देश का उद्धार तो नहीं ही करते है लेकिन अपना उद्धार तथा अपनी आने वाली चार पांच पीढ़ियों तक का उद्धार कर लेते है.
अजय केशरी जी आप्के विचारों के लिये धन्यवाद।
Post a Comment