शंकर जालान
विश्व महिला दिवस यानी आठ मार्च। फिर आ गया वह एक दिन जो महिलाओं के सम्मान और आत्म रक्षा व आत्म निर्भरता के लिए मनाया जाता है। प्रश्न यह है कि क्या दिवस मना लेने भर से महिलाओं को वह अधिकार व सम्मान मिल जाएगा, जिसकी वे हकदार हैं। आखिर क्या औचित्य है महिला दिवस का। आठ मार्च केवल महिलाओं के लिए और सिर्फ महिलाओं के नाम क्यों? इसलिए कि इस दिन हम महिलाओं का सम्मान कर सकें, उनकी महिमा का बखान कर सकें, उन्हें यह एहसास दिला सकें कि कितनी अमूल्य हैं, जो वंश को बढ़ाती हैं, एक ममतामयी मां, एक प्यारी बेटी, बहन, सच्ची जीवनसाथी और दो परिवारों के बीच एक सेतु की तरह। नहीं वर्ष में एक दिन ऐसा कर लेने और कह देने भर से महिलाओं को समुचित अधिकार कतई नहीं मिल सकता।
महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अपराधों ने उनकी सुरक्षा पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। फरवरी महीने में ही राज्य के विभिन्न जिलों में हुई बलात्कार की नौ घटनाओं ने (जो प्रकाश में आईं) महिलाओं पर सोचने को मजबूर कर दिया है। इस बाबत कई महिलाओं का कहना है कि जब सूबे की मुख्यमंत्री एक महिला हो ऐसे में महिला की अस्मत पर खतरा मंडराता रहे, इसे ठीक नहीं कहा जा सकता।
गोलाघाटा इलाके की वंदना देवी ने बताया कि अब कहीं अकेले जाने से पहले हमें दस बार सोचना पड़ता है। हरदम डर बना रहता है कि कब, कहां, कौन-सा भेड़िया ताक लगाए बैठा है कि शिकार मिलते ही उस पर टूट पड़े और दुखद यह है कि जब रक्षक भी भक्षक भूमिक में आ जाए तब हम किससे मदद की गुहार लगाएं? वंदना देवी ने कहा- मैं मानती हूं कि सारे पुरुष और समाज के सभी लोग ऐसी सोच वाले नहीं होते और वे नारियों को वह सम्मान देते हैं जिनकी वे हकदार हैं, पर जिस तरह एक सड़ी हुई मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है उसी तरह ऐसा कृत्य करने वाले पुरुष सारे सभ्य वर्ग के लिए एक कलंक हैं।
दक्षिण कोलकाता की रहने वाली दीपा कुमारी ने कहा कि सिर्फ नाम के लिए महिला दिवस मना लेना ही काफी नहीं है। सही मायने में महिला दिवस तब सार्थक होगा जब असलियत में महिलाओं को वह सम्मान मिलेगा जिसकी वे हकदार हैं। उन्होंने कहा- सभी महिलाओं को निश्चित तौर पर दो कानूनों को अवश्य जानना चाहिए। इनमें पहला है सूचना के अधिकार का कानून और दूसरा घरेलू हिंसा रोकथाम कानून। ये दोनों कानून सामाजिक तौर पर महिलाओं को अधिकार देते हैं। सभी महिलाओं के लिए जरूरी है कि वे इन कानूनों के बारे में जानें। कहने का अर्थ है कानून की सीधी सरल जानकारी और इसके लिए किसी समीक्षा की जरूरत नहीं है। इससे उन्हें कानूनों के बुनियादी प्रावधानों को जानने में मदद मिलेगी और वे इस जानकारी के भरोसे आत्मनिर्भर बनेंगी।
9.3.12
आखिर कब सार्थक होगा महिला दिवस
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1 comment:
Bilkul sahi kaha aapne...
Main apke vicharon se sehmat hu..!
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