Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

13.3.12

Political Dairy of Seoni Dist- Of M.P.

छोटी छोटी बातों पर बड़ी बड़ी विज्ञप्ति जारी करने वाली जिला भाजपा की सांसद बसोरी के बयान पर चुप्पी चर्चित

सांसद बसोरी सिंह द्वारा हरवंश सिंह को अपना माई बाप तक कह डालने के मामले पर गौगपा के पूर्व विधायक रामगुलाम ने तो इसे मुद्दा बनाया लेकिन जिला भाजपा की चुप्पी सियासी हल्कों में चर्चित हैं। कई गुटों में बंटी जिला भाजपा की इन हरकतों पर सवालिया निशान लग रहें हैं। जिला भाजपा अध्यक्षसुजीत जैन इन सब हालातों पर कैसे काबू कर पायेंगें? और जिला उभाजपा पर लगने वाले इन आरोपों से कैसे मुक्ति दिला पायेंगें? यह तो वक्त आने पर ही पता चल पायेगा। लंबे उहापोह के बाद जिले में कांग्रेस की कमेटिया तो घोषित हो गयीं हैं लेकिन अब तक प्रभारी महामत्रियों की घोषणा नहीं हो पायी हैं। जिले के लगभग सारे के सारे पदाधिकारी हरवंश सिंह के ही समर्थक हैं। इसके बाद भी जिले सहित सभी ब्लाकों में प्रभारी महामंत्री चुनने में हरवंश सिंह को ना जाने क्या परेशानी आ रही हैं? जबकि पहली बार जिला कांग्रेस में उनके पुत्र रजनीश सिंह भी महामंत्री बनाये गये हैं। जिला पंचायत की वन समिति के अध्यक्ष रामगोपाल जैसवाल इन दिनों सुर्खियों में बने हुये है। हाल ही में जिला भाजपा ने बाकायदा विज्ञप्ति जारी कर यह कहा है कि रामगोपाल भाजपा के सदस्य नहीं है और भाजपा कार्यकर्त्ता इनके कार्यक्रमों से दूरी बना कर रखें। यह बात अलग है कि जिला भाजपा ने जिला पंचायत चुनावों में अध्यक्ष पद के लिये रामगोपाल को ना केवल अपना प्रत्याशी घोषित किया था वरन वरिष्ट आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते चुनाव के प्रभारी थे।

सियासी हल्कों में चर्चित है जिला भाजपा की चुप्पी -कार्यक्रम स्थल था धनोरा। केवलारी विस क्षेत्र की इस ब्लाक की पंचायतों को बटना था टेंकर। अतिथि थे मंड़ला के इंका सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं इंका विधायक हरवंश सिंह। भाषणों का दौर चला तो सांसद बसोरी सिंह राग दरबारी गाते गाते इतना भाव विभोर हो गये कि उन्होंने इंका विधायक हरवंश सिंह को अपना माई बाप तक कह डाला। अपनी रागदरबारी सुनने के आदी हो चुके हरवंश सिंह ने भी उम्र और राजनैतिक कद में छोटे होने के बावजूद भी बसोरी सिंह को ऐसा कहने से रोकने का कोई प्रयास नहीं किया। कार्यक्रम में उपस्थित गौगपा के पूर्व विधायक रामगुलाम उइके ने सांसद के इस कथन को आदिवासियों का अपमान बताया और इसे एक मुद्दा बनाया। लेकिन राजनैतिक हल्कों में आश्चर्य उस समय व्याप्त हो गया जब कि कांग्रेस की प्रमुख विरोधी पार्टी भाजपा ने इस मामले में अपनी चुप्पी साध ली। एक लंबा समय बीत जाने के बाद भी जिला भाजपा का इस मामले में मौन रहना कई संदेहों को जन्म दे रहा हैं। तारीफ का बात तो यह हैं अखबारों की सुर्खी बनने के बाद भी ना तो इंका सांसद ने और ना ही इंका विधायक ने इस बात का कोई खंड़न किया हैं कि बसोरी सिंह ने उन्हें अपना माई बाप कहा हैं। इतना ही नहीं इसी कार्यक्रम में जिला इंकाध्यक्ष ने सिवनी की भाजपा विधायक नीता पटेरिया पर भी टेंकर बनवाने में कमीशन बाजी का भी खुले आम आरोप लगाया था जबकि तत्कालीन भाजपा विधायक नरेश दिवाकर के टेंकर कांड़ में जिला इंका ने पूरी तरह चुप्पी साध रखी थी। राष्ट्रय मुद्दों से लेकर छोटी छोटी बातों पर बड़ी बड़ी विज्ञप्ति जारी करने की आदी जिला भाजपा इस मामले में आखिर क्यों मौन रह गयी? इसे लेकर कई सवाल खड़े हो रहें हैं। क्या इसलिये कि यह मामला केवलारी विधानसभा क्षेत्र का है इसलिये? या मामला हरवंश सिंह से संबंधित है इसलिये? या इसमें विधायक नीता पटेरिया पर आरोप लगे थे इसलिये? या इसलिये कि यह मामला फगग्नसिंह कुलस्ते और डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन के क्षेत्र का है? अब इस सबके पीछे सच्चायी क्या है? इसका जवाब तो जिला भाजपा ही दे सकती हैं लेकिन इतना तो कहा ही जा सकता है कि इस सबके पीछे कहीं ना नहीं भाजपा के गुटबंदी का जरूर योगदान हैं। जिले में भाजपा की एकता एक संतरे के समान हैं कि छिलका उतरा तो सारी की सारी फांके अलग अलग दिखायी देने लगतीं हैं। इसी तरह किसी के स्वागत समारोह में एक ही गाड़ी में माला पहन कर खड़े रहने वाले दिग्गज नेता गाड़ी से उतरते ही संतरें की फांकांे की तरह ही दिखायी देने लगते हैं। जिला भाजपा अध्यक्षसुजीत जैन इन सब हालातों पर कैसे काबू कर पायेंगें? और जिला उभाजपा पर लगने वाले इन आरोपों से कैसे मुक्ति दिला पायेंगें? यह तो वक्त आने पर ही पता चल पायेगा।

कांग्रेस में क्यों नहीं नियुक्त हो पा रहें हैं प्रभारी महामंत्री ?-जिला कांग्रेस सहित ब्लाक कमेटियों को भी अभी तक प्रभारी महामंत्री नहीं मिल पाये हैं। लंबे उहापोह के बाद जिले में कांग्रेस की कमेटिया तो घोषित हो गयीं हैं लेकिन अब तक प्रभारी महामत्रियों की घोषणा नहीं हो पायी हैं। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि कांग्रेस में अध्यक्ष के बाद प्रभारी महामंत्री का पद ही सबसे महत्वपूर्ण होता है लेकिन ना जाने क्यों अभी इसका निर्णय नही हो पा रहा हैं। हालांकि पिछले लगभग पंद्रह सालों से जिले को कांग्रेस संगठन में जिले के इकलौते इंका विधायक हरवंश सिंह का ही वर्चस्व हैं। लगभग सारे के सारे पदाधिकारी उनके अपने ही समर्थक हैं। इसका इससे बड़ा प्रमाण भला और क्या हो सकता हैं कि जिले की वरिष्ठतम इंका नेत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री कु. विमला वर्मा तक को प्रदेश प्रतिनिधि बना कर सम्मान देने की जरूरत नहीं समझी गयी। जबकि राजनैतिक कद में उनसे बौने और उम्र में काफी छोटे नेताओं को प्रदेश प्रतिनिधि बनाया गया हैं। इसके बाद भी जिले सहित सभी ब्लाकों में प्रभारी महामंत्री चुनने में हरवंश सिंह को ना जाने क्या परेशानी आ रही हैं? जबकि पहली बार जिला कांग्रेस में उनके पुत्र रजनीश सिंह भी महामंत्री बनाये गये हैं। जिला कांग्रेस अध्यक्ष हीिरा आसवानी खुद भी कई सालों तक प्रभारी महामंत्री रहें हैं और वे इसके महत्व को भी बखूबी समझते हैं। इसके बावजूद भी वे अभी तक यह कार्य क्यों नहीं कर पा रहें हैं? यह एक ओपन सीक्रेट हैं। इन हालातों में जिले में संगठन कैसे मजबूत हो पायेगा? जबकि हाल ही में उत्तर प्रदेश के चुनावों में कांग्रेस की हार के लिये कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव राहुल गांधी दोनों ही स्पष्टतौर यह कह चुके हैं पार्टी की हार का प्रमुख कारण प्रदेश में संगठन की कमजोरी रही हैं और इस जवाबदारी को मानते हुये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा ने अपना स्तीफा ळी सौंप दिया है। अगले साल मध्यप्रदेश में भी चुनाव होना हैं और यदि इसी गति से कांग्रेस चलती रही तो हालात संभाहना मुकिल हो जायेगा।

रामगोपाल को लेकर मचा भाजपा में बवाल-जिला पंचायत की वन समिति के अध्यक्ष रामगोपाल जैसवाल इन दिनों सुर्खियों में बने हुये है। हाल ही में जिला भाजपा ने बाकायदा विज्ञप्ति जारी कर यह कहा है कि रामगोपाल भाजपा के सदस्य नहीं है और भाजपा कार्यकर्त्ता इनके कार्यक्रमों से दूरी बना कर रखें। यह बात अलग है कि जिला भाजपा ने जिला पंचायत चुनावों में अध्यक्ष पद के लिये रामगोपाल को ना केवल अपना प्रत्याशी घोषित किया था वरन वरिष्ट आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते चुनाव के प्रभारी थे। अध्यक्ष का चुनाव हार जाने के बाद रामगोपाल जब जिला पंचायत की वन समिति के अध्यक्ष काचुनाव लड़े तो भाजपा के जिला पंचायत सदस्यों ने उन्हें वोट देकर जिताया भी था। हालांकि रामगोपाल ने सदस्य के चुनाव में भाजपा के क्षेत्र के घोषित भाजपा प्रत्याशी को हराया था लेकिन उसके बाद भी पार्टी ने उन्हें समर्थन देकर अध्यक्ष का चुनाव लड़वाया था। राजनैतिक क्षेत्रों में इस बात को लेकर चर्चा हैं कि आखि रामगोपाल जैसवाल में ऐसा क्या कुछ जिला भाजपा को नया दिख गया जिसके कारण अब सार्वजनिक रूप से विश्रप्ति जारी कर कार्यकर्त्ताओं को उनसे परहेज रखने की नसीहत दी जा रही हैं। जबकि यह भी कम महत्वपूर्ण नहीं हैं कि उमा भारती के कार्यकाल में हुये जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के वक्त यही रामगोपाल नरेश-हरवंश युति की संयुक्त रणनीति केे एक महत्वपूर्ण हिस्से थे।जिसके कारण भाजपा की अधिकृत एम्मीदवार श्रीमती गोमती ठाकुर अध्यक्ष का चुनाव हार गयीं थीं। जिला भाजपा अब आखिर ऐसा क्यों कर रही है और किसके कहने पर कर रही? इसे लेकर तरह तरह की चर्चायें हैं।