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5.4.13

Flaxseed for Skin, Hair and Nails


दोस्तों,
इस वीडियो में अलसी के त्वचा, केश और नाखून की संरचना कार्य-प्रणाली विस्तार से बतलाई गई है। यह भी बतलाया गया है कि बालों और त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए कौन कौन से पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है, वे हमें किन खादय पदार्थों में मिलते हैं। अलसी कैसे कायाकल्प करती है, गोरा बनाती है, सुंदर बनाती है बाल काले और लंबे करती है। आदि आदि...

एक दिन मैं श्रीमती आशा ओझा की गजल सुन रहा था इक तेरे तसव्वुर ने सनम यूँ गुजार दी जिंदगी... मुझे खयाल आया कि ऐसा तसव्वुर ऐसा रूप जिसकी याद में कोई जिंदगी गुजार दे बिना अलसी खाये तो बन नहीं सकता। इसलिए मैंने उनकी गजल और अलसी का संगम कर दिया है। यह वीडियो (जो यूट्यूब पर उपलब्ध है) अलसी के त्वचा, केश और नाखूनों पर चमत्कारों के बारे में है, लेकिन बेकग्राउंड में उनकी शानदार गजल है। यह संगम बहुत ही सुंदर बन पड़ा है। आप इसे देखें और अपने मित्रों से शेयर करें।


त्वचा का प्राकृतिक श्रंगार – अलसी
यदि आप त्वचा, नाखुन और बालों की सभी समस्याओं का एक शब्द में समाधान चाहते हैं तो मेरा उत्तर है       ओमेगा-3 वसा अम्ल। मुक्त-मूलक त्वचा की कोलेजन कोशिकाओं से इलेक्ट्रोन चुरा लेते हैं। परिणाम स्वरूप त्वचा में महीन रेखाएं बन जाती हैं जो धीरे-धीरे झुर्रियों व झाइयों का रूप ले लेती है, त्वचा में रूखापन आ जाता है और त्वचा वृद्ध सी लगने लगती है। अलसी के एंटी-ऑक्सीडेंट ओमेगा-3 व लिगनेन त्वचा के कोलेजन की रक्षा करते हैं और त्वचा को आकर्षक, कोमल, नम, बेदाग व गोरा बनाते हैं।
अलसी एक उत्कृष्ट भोज्य सौंदर्य प्रसाधन है जो त्वचा में अंदर से निखार लाता है। अलसी त्वचा की सभी बीमारियों जैसे मुहांसे, एग्ज़ीमा, दाद, खाज, सूखी त्वचा, खुजली, छाल रोग (सोरायसिस), ल्यूपस आदि में काफी असरदार साबित हुई है। अलसी युक्त भोजन खाने व इसके तेल की मालिश से त्वचा के दाग, धब्बे, झाइयां जाती हैं। अलसी आपको युवा बनाये रखती है। आप अपनी उम्र से काफी छोटे लगने लगते हैं। अलसी आपकी उम्र बढ़ती हैं।
ओमेगा-3 की माया तो सुन्दर बने काया 
पेट्रिक होल्फोर्ड ने अपनी किताब "न्यू ऑप्टीमम न्यूट्रीशन बाइबल" में लिखा है कि स्वस्थ त्वचा के लिए ओमेगा-3 और ओमेगा-6 आवश्यक वसा-अम्ल बहुत जरूरी पोषक तत्व हैं। साथ ही आहार में इनका अनुपात भी बहुत अहमियत रखता है। हमारी हर कोशिका की भित्ति (या कोशिका की त्वचा) इन्हीं आवश्यक वसा-अम्लों से बनती है। त्वचा में असंख्य कोशिकाएं होती हैं। ये फैट्स कोशिका भित्ति को तरल, मुलायम और चिकना बनाये रखते हैं। यदि कोशिका भित्ति में पर्याप्त फैट्स नहीं हैं तो कोशिका में नमी को रोक पाना  मुश्किल होता है और त्वचा में सूखापन आ जाता है।  इसलिए स्वस्थ और नम त्वचा के लिए ओमेगा-3 का सेवन जरूरी है, जिनका सर्वोत्तम स्रोत अलसी है। 
अलसी का हो भोग   मिटे चर्म के रोग
अलसी में भरपूर मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं जो प्रदाहरोधी (Anti-inflammatory) हैं। अतः ये त्वचा की जलन, प्रदाह और लालिमा को कम करते हैं, ऐलर्जी या संक्रमण के कारण बने त्वचा के दाफड़ या चकत्तों, घाव और फोड़े-फुंसी को जल्दी ठीक करते हैं। इसलिए अलसी त्वचा के हर विकार जैसे रोजेशिया, मुँहासे, दाद, खाज, खुजली, एग्जीमा, कैंसर और छालरोग (सोरायसिस) में बहुत फायदा करती है। श्री आनंद हजारी ने भी इस संदर्भ में अपनी अलसी चालीसा में लिखा है।
चर्म रोग  को  दूर  भगाये। कील, मुँहासे खाज मिटाये।।
दाद छाल एग्जीमा कैसा।  रूप   निखारे  सोने  जैसा।।
सोरायसिस त्वचा का ऑटोइम्यून रोग है जिसमें त्वचा खुश्क तथा प्रदाह ग्रस्त हो जाती है, खुजली चलती है और त्वचा पर छिल्केदार, लाल या सफेद पपडि़या सी जमने लगती हैं। इसका उपचार भी मुश्किल होता है। अलसी में विद्यमान ओमेगा-3 प्रदाह को शांत करता है। लिगनेन एंटीऑक्सीडेंट और जीवाणुरोधी है। सोरायसिस में अलसी के सेवन और त्वचा पर अलसी का तेल लगाने से कुछ हफ्तों में बहुत लाभ मिलता है। मुँहासे, चेहरे के दाग-धब्बे या झुर्रियों में भी मैंने अलसी के बड़े चमत्कार देखें हैं।
रूसी या डेंड्रफ मेलासेजिया नाम के फंगस के संक्रमण से होती है। इसमें सिर की त्वचा से सफेद मृत  कोशिकाएं निकलने लगती है। अलसी में विद्यमान लिगनेन फंगररोधी है इसलिए नियमित अलसी खाने वालों को कभी डेंड्रफ होता ही नहीं हैं।
अलसी बने सहेली त्वचा बने नवेली  
अलसी में विद्यमान ओमेगा-3 फैट्स त्वचा को ताजा, नम और मखमली बनाये रखते हैं। विख्यात डर्मेटोलोजिस्ट डॉ. जेफरी बेनाबियो के अनुसार अलसी त्वचा में प्राकृतिक तेलों का स्राव बढ़ाती है, त्वचा की सुरक्षा करती है और पर्याप्त नमी बनाये रखती है। यह दो तरह से त्वचा की सुरक्षा करती है। पहला, यह गंदगी और धूल के  कणों को त्वचा के छिद्रों में जाने से रोकती है, दूसरा यह त्वचा पर जलरोधी सुरक्षात्मक परत बनाती है जिससे त्वचा नम बनी रहती है, रूखापन नहीं आता और झुर्रियां नहीं पड़ती।   

अलसी के सौंदर्य प्रसाधन
अलसी से बना हैयर सेटिंग जैल
फायदे
·      यह सस्ता और प्राकृतिक विकल्प है।
·      जल्दी सूख जाता है।
·      बाल मुलायम, चमकीले और नम दिखाई देते हैं।
·      बाल जल्दी बढ़ते हैं।
·      बालों को मन चाहा रूप दे सकते हैं। 
सामग्री
·      1/3  कप अलसी के बीज
·      2 कप पानी
·      आधा चाय चम्मच शहद
·      आधा चाय चम्मच नारियल का तेल
·      10 बूँद खुशबूदार तेल या नीबू का रस
बनाने की विधि
·      एक पतीली में पानी और अलसी डाल कर तेज आंच पर गर्म कीजिये।
·      मिश्रण को चम्मच से हिलाते रहें और उबाल आने पर आंच कम कर दीजिये।
·      थोड़ी देर बाद जब अलसी के बीज पानी में तैरने लगे तो मिश्रण को किसी प्याले में चलनी से छान लीजिये। पतीली को तुरन्त पानी से धो लेना चाहिये अन्यथा बाद में इसको साफ करने में बड़ी मुश्किल होगी। 
·      अब मिश्रण में शहद और खुशबूदार तेल या नीबू मिला लीजिये। अब नारियल का तेल डाल दीजिये।
·      इसके बाद सबको अच्छी तरह मिला लीजिये। जैल अंडे की सफेदी जैसा लगना चाहिये।
·      मिश्रण को एक डिब्बे में भर लीजिये। आपका हेयर जैल तैयार है। इसे आप फ्रीज़ में रख सकते हैं। ध्यान रहे इसे एक या दो सप्ताह तक प्रयोग कर सकते हैं।  
मोइश्चराइजिंग स्क्रब
एक कप अलसी के बीजों को ड्राई ग्राइंडर में दरदरा पीस लीजिये। फिर पिसी अलसी को आधा कप फेस क्रीम में मिला लीजिये। अब चेहरे को पानी से धो लीजिये। चेहरे को टॉवल से पौंछ कर स्क्रब को चेहरे पर लगाइये और एक मिनट तक हल्के हाथों से मसाज लीजिये। एक मिनट के बाद चेहरे को गुनगिने पानी से धोकर टॉवल से थपथपा लीजिये।
अलसी का उबटन
आधा कप ताजा पिसी अलसी और चौथाई कप बेसन को आधा कप (100 एम.एल.) दही, एक बड़ी चम्मच शहद, एक बड़ी चम्मच अलसी या खोपरे के तेल व किसी भी सुगंधित तेल की 5 बूंद (जैसे लेवेंडर तेल आदि) में अच्छी तरह मिला कर उबटन बनाइये। अपने चेहरे व बदन पर इस उबटन को लगाइये और घर बैठे ही हर्बल स्पा जैसा लाभ पायें। इससे त्वचा नम व रेशमी बनी रहेगी।
अलसी का केश तेल
मीठी नीम और मेंहदी के पत्तों को धो कर और पोंछ कर मिक्सर में बारीक पीस लीजिये। अब एक कप नारियल के तेल को गर्म करें और उसमें एक चाय चम्मच मीठी नीम और मेंहदी के पत्तों के इस पेस्ट को भूरा होने तक धीरे-धीरे भूने। ठंडा होने पर उस में एक कप शीतल विधि द्वारा निकला अलसी का तेल और थोड़ा सा लेवेन्डर तेल मिलाइये और एक शीशी में भर लीजिये। आपका केश तेल तैयार है।
बालों का रसायन शास्त्र  
बाल का जो हिस्सा त्वचा के बाहर रहता है, उसे शाफ्ट (shaft) कहते हैं। शाफ्ट के तीन भाग होते हैं : सबसे बाहर वाले भाग को क्यूटिकल (cuticle) कहते हैं। क्यूटिकल के नीचे एक कड़ा अस्तर रहता है, जिसे (cortex) कहते हैं तथा सबसे अंदर के भाग को मेड्युला (Medulla) कहते हैं। बाल का जो हिस्सा त्वचा के अंदर रहता है उसे  मूल (root) कहते है।

प्रायः हमारे बाल एक महीने में एक सें.मी. या एक वर्ष में पाँच से छह इंच तक बढ़ते हैं। मूल एक गड्ढे में अवस्थित होता है, जिसे केश कूप (Follicle) कहते हैं। केश कूप से ही बाल निकलता है। एक केश कूप से एक या एक से अधिक बाल निकल सकते हैं। केश कूप के आधार पर पेपिला (Papilla) अवस्थित रहता है, जो चारों तरफ मेट्रिक्स (Matrix) और मेलेनोसाइट कोशिकाओं से घिरा रहता है। पेपिला और कूप के संगम पर ही बाल बनता है। पैपिला रक्तवाहिनी से जुड़ा रहता है। इसी से मूल को वे सब पोषक तत्व प्राप्त होते हैं जिनसे बाल का निर्माण और उसकी वृद्धि होती है। जब तक पेपिला और केश कूप नष्ट नहीं होते बाल बढ़ते रहते हैं। खोपड़ी के बाल दो से छह वर्षों तक जीवित रहते हैं। इसके बाद वे झड़ जाते हैं और  उनके स्थान पर नए बाल निकल आते हैं। यह क्रम पूरे वयस्क काल तक चलता रहता है। बाल क्यों झड़ जाते हैं और उसके स्थान पर नये बाल क्यों नहीं उगते, यह सब अभी तक हम ठीक से समझ नहीं पाये हैं। कई बार खोपड़ी के रोगों के कारण भी बाल झड़ने लगते हैं।

बालों का प्रोटीन - केराटिन
केराटिन बालों का प्रमुख घटक है। यह एक प्रोटीन है जो सल्फर युक्त सिस्टीन समेत 18 अमाइनो एसिड्स से बनता है। यह केश कूप में स्थित केरेटिनोसाइट नाम की कोशिका में बनता है। कुछ कोशिकाएं तो केश कूप के खोल की बाहरी और आंतरिक उपकला (Epithelium) का निर्माण करती हैं और बाकी लम्बी होकर बाल की शाफ्ट बनाती हैं। जैसे ही केरेटिनोसाइट कोशिका केराटिन से भर जाती हैं, ये मृत हो जाती हैं। इस तरह केश कूप में 0.5 मिलिमीटर बढ़ते ही बाल परिपक्व हो जाता है, इसके बाद बाल मृत अवस्था को प्राप्त हो जाता है और फिर कोई पोषक तत्व ग्रहण नहीं करता है।  
बाल और त्वचा का प्राकृतिक तेल - सीबम
बालों की मजबूती और चमक के लिए फैट्स अहम भूमिका  निभाते हैं, भले ही बालों में फैट्स की मात्रा 3% ही होती है। केश कूप में स्टीरोल्स, फैटी एसिड्स और सीरामाइड्स से फैट्स का निर्माण होता है। केशकूप के पास ही सेबेशियस ग्रंथि होती है जो सीबम बनाती है। सीबम ट्रायग्लीसराइड्स, मोम और स्क्वेलीन का मिश्रण होता है जो त्वचा और बालों पर सुरक्षात्मक लेप करता है तथा बालों को लचक और चमक प्रदान करता है।
बालों को रंगत देने का काम मेलानिन नामक पिगमेंट करता है, जो केश कूप में स्थित मेलेनोसाइट नाम की कोशिकाओं में बनता है, जिसे केरेटिनोसाइट्स ग्रहण कर लेती हैं। यह रंग द्रव्य प्रायः दो तरह का होता है। पहला यूमेलानिन है जो गहरे रंग का होता है और दूसरा फेयामेलानिन है जो हल्के रंग का होता है।  
बालों के लिए जरूरी पोषक तत्व
रेशमी जुल्फों का राज अलसी
अलसी बालों के लिए सचमुच चमत्कारी है। अलसी के सेवन से बाल रेशमी, चमकीले, मजबूत और स्वस्थ हो जाते हैं। कई लोग बालों में अलसी का तेल लगाना पसन्द करते हैं। अलसी के तेल में विद्यमान ओमेगा-3 फैट्स के प्रयोग से बाल लम्बे, घने, चमकीले और मजबूत हो जाते हैं। पुरुष और स्त्रियों में हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ जाने, पोषक तत्वों की कमी, आनुवंशिकता, रूसी (Dandruff), सोरायसिस आदि के कारण बाल उड़ जाते हैं।  अलसी का तेल सिर की त्वचा और बालों को अंदर और बाहर से पोषण देता है। ओमेगा-3 फैट्स हार्मोन्स के निर्माण में मदद करते हैं और हार्मोन्स को संतुलित करते हैं। ओमेगा-3 फैट्स से बनने वाले एंटीइन्फ्लेमेटरी प्रोस्टाग्लेंडिन्स प्रदाह को ठीक करते हैं। अलसी में विद्यमान लिगनेन फंगसरोधी, जीवाणुरोधी, एंटीऐलर्जिक है और सोरायसिस आदि विकारों का उपचार करता है। अलसी सेवन करने वाली स्त्रियों के बालों में न कभी रूसी होती है और न ही वे झड़ते हैं। कई बार अलसी के सेवन से समय पूर्व सफेद हुए बाल भी काले हो जाते है।
ओमेगा-3 फैटी एसिड्स
ओमेगा-3 सीबम (फैट बालों के प्राकृतिक तेल) के निर्माण और खोपड़ी की त्वचा को स्वस्थ बनाये रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
प्रोटीन –
प्रोटीन बालों का मुख्य घटक है। इसकी कमी से बाल सूखे, बेजान तथा कमजोर हो जाते हैं और झड़ने लगते हैं। प्रोटीन के लिए आपको अलसी, मछली, दूध, अंडा, राजमा, दाल, मेवे और मांस का सेवन करना चाहिये।
विटामिन्स –
विटामिन-ए सिर की त्वचा को स्वस्थ रखता है और सीबम के निर्माण में मदद करता है। गाजर, आम, शकरकंद, कद्दू, पालक आदि विटामिन-ए के बढ़िया स्रोत हैं। बी ग्रुप के विटामिन्स की कमी से बालों का सूखा, कमजोर तथा सफेद हो जाना और झड़ना आदि विकार होते हैं। विटामिन बी हमें अनाज, दालों, आलू और केले आदि से मिल जाता है। विटामिन-सी बालों की वृद्धि और रखरखाव के लिए जरूरी है। इसकी कमी से खोपड़ी की त्वचा में रक्त संचार कम होता है, इसलिए बालों का बढ़ना कम हो जाता है। सन्तरा, नीबू, पपीता, गोभी, शतावर आदि विटामिन-सी के अच्छे स्रोत हैं। विटामिन-ई बालों में प्राकृतिक तेल का स्तर और खोपड़ी में रक्त संचार बढ़ाता है। इसकी कमी से बाल झड़ने लगते हैं तथा सूखे और कमजोर हो जाते हैं। विटामिन-ई हमें बादाम, अखरोट, टमाटर, चुकंदर आदि से मिल जाता है।
खनिज तत्व -  
बालों के लिए जिंक, सेलेनियम, मेंगनीज और कॉपर बहुत महत्वपूर्ण खनिज हैं। ये त्वचा और बालों को स्वस्थ रखते हैं। इनकी कमी से एग्जीमा, गंजापन और कई विकार हो सकते हैं। डी.एच.टी. हार्मोन पुरुषों में गंजेपन का प्रमुख कारण है और जिंक इसका स्तर कम करता है। साथ ही जिंक एंटीऑक्सीडेंट है, केश कूप (Follicle) की मुक्त-मूलक से रक्षा करता है, डी.एन.ए. और आर.एन.ए. का निर्माण करता है तथा प्रजनन, विकास, नेत्र, थायरॉयड आदि के सुचारु संचालन में मदद करता है। कॉपर प्रदाह  रोधी है, घाव भरने में मदद करता है, त्वचा की झुर्रियां दूर करता है, बालों को काला, घना और लम्बा करता है। पालक, अलसी, मशरूम, मक्खन, साबुत अनाज, दाल, अंडा, मेवे आदि जिंक के बहुत अच्छे स्रोत हैं। ब्राजील नट, अखरोट, तिल, अलसी, गेहूँ, सोयबीन, मांस, मछली, अंडा सेलेनियम के अच्छे स्रोत है। तिल, अलसी, कोको, काजू, कद्दू और सूर्यमुखी के बीज कॉपर के अच्छे स्रोत माने जाते हैं। लौंग, लाल मिर्च, अलसी, तिल, मेवे, कोको, कद्दू और सूर्यमुखी के बीजों से हमें पर्याप्त मेंगनीज मिल जाता है।      
बालों का विटामिन - बायोटिन  
बायोटिन बाल और उनकी जड़ों को मजबूत बनाता है जिससे बालों का झड़ना रुक जाता है। यह बी ग्रुप का जल में धुलनशील विटामिन है। इसे बालों का विटामिन, विटामिन-एच, विटामिन बी-7 या कोएंजाइम-एच भी कहते हैं। यह यूरिडो (टेट्राहाइड्रोइमिडिजेलोन) छल्ले से बना होता है जिससे टेट्राहाइड्रोथायोफेन छल्ला जुड़ा रहता है। बायोटिन एक कोएंजाइम है जो कार्बोक्सिलेज एंजाइम के साथ कार्य करता है। यह फैटी एसिड्स, आइसोल्युसीन, वेलीन के निर्माण और शर्करा के चयापचय में मदद करता है। यह कोशिका के विकास, साइट्रिक एसिड सायकिल और कार्बन डाइ-ऑक्साइड के परिवहन में अहम भूमिका निभाता है। स्विस कार्ड (Swiss Chard), गाजर, बादाम, अखरोट, अंडा, बकरी व गाय का दूध, स्ट्रॉबेरी, रसबेरी, हेलीबट मछली, प्याज, खीरा और गोभी बायोटिन के अच्छे स्रोत हैं।  
नाखून की रक्षक अलसी
अलसी नाखूनों को भी गुलाबी, बेदाग, स्वस्थ और सुडौल बनाती है। नाखून वास्तव में त्वचा का ही हिस्सा होता है जो तीन तरफ त्वचा की तह (Fold) से धिरा रहता है। नाखून के नीचे इसका आधार (Nail bed) होता है, जिससे नाखून चिपका रहता है। नाखून केराटिन (Keratin) नाम के कड़े और मजबूत प्रोटीन से बनता है। बाल और त्वचा की संरचना में भी केराटिन महत्वपूर्ण माना गया है। नाखून के बाहरी दिखाई देने वाले कड़े भाग को नेल प्लेट (Nail plate) कहते हैं। इसके पीछे की तरफ अर्धचंद्राकार सफेद हिस्से को ल्युनुला (Lunula) कहते हैं। त्वचा की तह और ल्युनुला को जोड़ने वाले ऊतक को क्युटीकल या ऐपोनीकियम कहते हैं। नाखून क्युटीकल के नीचे मेट्रिक्स (Matrix) नाम के हिस्से से बढ़ता है। एक दिन में नाखून लगभग 0.1 मिलि मीटर बढ़ता है।
स्वास्थ्य का दर्पण – नाखून
नाखून हमारे स्वास्थ्य का दर्पण माना जाता है। यह अंगुलियों में रक्त के संचार की स्थिति दर्शाता है। चिकित्सक हमारे नाखून देख कर तुरन्त भांप लेता है कि हमारे शरीर में किस पोषक तत्व की कमीं है। नाखून के परीक्षण से  कई रोगों के प्रारंभिक निदान में बड़ी मदद मिलती है। नाखून का मुख्य कार्य हाथ और पैरों की अंगुलियों की रक्षा करना है।
नाखून के निर्माण और रखरखाव के लिए विटामिन बी ग्रुप, बायोटिन, कैल्शियम, फोलिक एसिड, विटामिन-सी, ज़िंक, कॉपर, प्रोटीन और ओमेगा-3 फैट्स बहुत अहम माने जाते हैं। ओमेगा-3 फैट्स और कैल्शियम की कमी से नाखून खुश्क, कमजोर और भंगुर हो जाते हैं। विटामिन बी ग्रुप विशेष तौर पर बायोटिन की कमी होने पर नाखून में धारियां पड़ जाती हैं। लौह तत्व की कमी होने पर ये टेढ़े-मेढ़े और अवतल (Concave) हो जाते हैं। विशेष बात यह है कि ये सारे तत्व हमें अलसी से मिल जाते हैं। इसलिए अलसी का नियमित सेवन से नाखून मजबूत, सुडौल और चमकीले हो जाते हैं।  नाखून पर बने दाग धब्बे धारियां ठीक हो जाती हैं।

1 comment:

indianrj said...

डॉक्टर साहब, धन्यवाद. अलसी पर आपके द्वारा दी जानकारी पढ़कर अलसी ले ली है. लेकिन एक बात पूछना चाहती हूँ, क्या इसको रात को भिगोकर सुबह ऐसे ही खायी जा सकती है?