Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

3.11.20

स्मृतियों के कोलाज में जिंदा हो उठे संदीप दा

भास्कर गुहा नियोगी
 
वाराणसी। कामरेड संदीप घटक के असामयिक मृत्यु के बाद आयोजित श्रद्धांजलि सभाओं में  वक्ताओं के स्मृतियों ने उनसे जुड़ी किस्से-कहानियों की कोलाज में संदीप दा को जीवित कर दिया।


वक्ताओं ने  जब एक-एक कर संदीप दा के बहुआयामी व्यक्तित्व के पहलुओं को उभारा। उनके स्कूल से लेकर आंदोलन में उनकी शिरकत,उनका परिवारिक  जीवन, लोगों के दुःख-सुख में उनका साथ देना और तमाम मुश्किलों के बीच उनका हंसते और हंसाते रहने के कौशल के बारे में बताया तो ऐसा लगा कि संदीप दा हम सबके बीच ही बैठे है।

चाहे वो सेंटर आफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) की ओर से आयोजित श्रद्धांजलि सभा हो या फिर सेंटर फिजिकल स्कूल में उनके मित्रों और चाहने वालों द्बारा आयोजित श्रद्धांजलि सभा सब में संदीप दा ने रहकर भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराते रहे। इन सभाओं में मौजूद वो लोग जो संदीप दा को नहीं जानते थे उन्हें भी संदीप दा अपने लगे।

कामरेड देवाशीष भट्टाचार्य ने सीटू से उनके जुड़ने से लेकर हर काम को करने के उनके उत्साह कभी न थकने के उनके जज्बे के बारे में बताते हुए कहा कि चाहे वो दिवाल लेखन हो या फिर पोस्टर लगाना संदीप सबसे आगे रहते थे सबके लिए सोचते थे और कुछ न कुछ करते रहते थे। बचपन के उनके मित्र रहे संजय भट्टाचार्य ने  स्कूल के दिनों से लेकर साथ-साथ आंदोलनों में हिस्सेदारी के बारे में बताया कहा कि हम दोनो किसी काम को करने की सोचते थे और कर जाते थे। बनारस में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती मनाना था हम दोनो ने ऐसे ही बातचीत कर इसकी शुरूआत कर दी।

चाहे नाटक करने की बात हो या फिर गाने की संदीप सबसे आगे रहता था। कामरेड प्रशांत शुक्ला ने उन्हें असाधारण आशावादी बताया जो असाधारण और विपरीत परिस्थितियों में भी भी निराश नहीं होते थे। संदीप दा की जीवन संगिनी सोनिया घटक ने कहा उन्होंने मुझे हमेशा आगे बढ़ाया मेरी तारीफ की। कभी कुछ करने से रोका नहीं। अक्सर कहा करते थे मुझे अगर कुछ हो गया तो मेरे शरीर को मेडिकल कालेज में दान कर देना मैं कहती थी मुझसे नहीं हो पाएगा फिर अचानक सबकुछ एक झटके से खत्म हो गया जो कभी सोचा नहीं था। पता नहीं मेरे अंदर इतनी हिम्मत कहां से आ गई कि मैं ये सब कर पाई, ये हिम्मत उन्हीं की दी हुई है जिसको लेकर मैं चलती रहूंगी। बंगीय समाज के देवाशीष दास ने कहा संदीप देना जानता था असंख्य लोग हैं जिनकी मदद वो करता था। देह का दान करना आसान नहीं होता लेकिन संदीप ने वो भी कर दिखाया मेडिकल कॉलेज के भावी डाक्टर अब उसके शरीर का अध्ययन करेंगे ।




No comments: